नव वर्ष पर कविता

1.
अभिनन्दन अभिनन्दन नववर्ष का अभिनन्दन,
प्रकृति के विनाश को बचाओ,
उजड़ती हुई जिंदगी को संवारो,
स्त्रियों की व्यथा को उभारो,
हर ममता के प्रेम को निहारो,
आज प्रकृति का हो रहा है क्रंदन,
अभिनन्दन अभिनन्दन नववर्ष का अभिनन्दन।
2.
जिस भूमि ने मानव जीवन को बनाया,
मानव उसे विनाश के कगार पर लाया,
देश के प्रति सच्ची भावनाएं बनाए,
अपने देश के विकास को सफलता में लाए,
देश का न होने देना है खंडन,
अभिनन्दन अभिनन्दन नववर्ष का अभिनन्दन।
3.
हर नन्ही जान के शोषण को रोको,
शोषण की आग में स्वयं को न ठोको,
कठिनाईयों में मानव सभ्यता का विकास करो,
इस जिंदगी को वतन के नाम करो,
नही होने देना है भ्रष्टाचार का प्रगांडन,
अभिनन्दन अभिनन्दन नववर्ष का अभिनन्दन।
लेखक-: ताराचन्द भारतीय (बरवाला) हरियाणा