दिवाली मनाबो

सब के घर म उम्मीद के दिया जलाबो,
युवा शक्ति के अपन लोहा मनवाबो,
अपन शहर ल नावा दुल्हन कस सजाबो,
चला संगी ए दारी अइसे दिवाली मनाबो।
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बेरोजगार ल रोजगार दिलवाबो,
दू रोटी खाबो अउ सब ल खवाबो,
रद्दा बिन गड्ढा, समतल बनाबो,
चला संगी ए दारी अइसे दिवाली मनाबो।
अमीर गरीब के फरक ल मेटा के,
सब झन ल अपन अधिकार देवाबो,
एक व्यक्ति-एक पेड़ के नारा ले,
अपन शहर ल हरिहर बनाबो।
चला संगी ए दारी अइसे दिवाली मनाबो,
चला संगी ए दारी अइसे दिवाली मनाबो।
© प्रकाश दास मानिकपुरी✒✍
? 8878598889 रायगढ़ (छ. ग.)
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद