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पैसों के आगे सब पराया

मुश्किल समय में नहीं आता है; अपने ही अपनो के काम होगा। आगे चलकर भुगतना पड़ता है; ऊँचे से ऊँचे मोल का दाम होगा।1। मोल पैसों का नहीं संस्कार का है; प्यार से करो बात मन में जगता आस। माता-पिता और गुरु से मिले जो संस्कार; कभी ना खोना धैर्य मन…
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घर-घर में गणराज – परमानंद निषाद

*घर-घर में गणराज (दोहा छंद)*आए दर पे आपके, कृपा करो गणराज।हे लम्बोदर दुख हरो, मंगल करिए काज।१।पहली पूजा आपकी, होता है गणराज।गणपति सुन लो प्रार्थना, रखना मेरी लाज।२।गौरी लाल गणेश जी, तीव्र बुद्धि का ज्ञान।पालक को जग मानते, देते नित…
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संस्कार नही मिलता दुकानों में-परमानंद निषाद “प्रिय”

संस्कार नही मिलता दुकानों में - परमानंद निषाद "प्रिय" माता-पिता से मिले उपहार।हिंद देश का है यह संस्कार।बुजुर्गो का दर्द समझते नहींनहीं जानते संस्कृति- संस्कार। संस्कार दिये नहीं जाते है।समाज के भ्रष्टाचारों से।संस्कार हमको मिलता…
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हौसलों की उड़ान

हौसलों की उड़ान उडान पक्षी हौसलों की उड़ान मत कर कमजोर,अभी पूरा आसमान बाकी है,परिंदों को दो खुला आसमान,सपनों को परिंदों सी उड़ान दो। यूं जमीन पर बैठकर,क्यूं आसमान देखता है,पंखों को खोल जमाना,सिर्फ उड़ान देखता है।तेरा हर ख्वाब सच…
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