सुई बोले धागे से पतले हो तुम मुझ से, मुड जाते हो पल- पल, हमेशा करते हो हलचल। धागा मंद मंद मुसकाया, सुई की बातों से शरमाया। छोटी,बडी ,मोटी,पतली हरदम लगती तुम बदली बदली। सिलकर देती हो कई रूप, निखार देती हो रूप कुरूप । हँसकर बोली सुई सयानी, तुम बिन मेरी अधूरी कहानी, गर न हो साथ हमारा, कुछ भी नहीं महत्व हमारा, तुम्हारे बिना मैं निरर्थक , साथ रहे तो जीवन सार्थक। तुम्हारे बिना मैं अधूरी, कभी न होगी सिलाई पूरी । सुई-धागा बोले मुसकुराते,
नारी की महिमा है अपरंपार, सदा संभालती है हर घर-द्वार। बिन नारी के सूना है घर – संसार, नारी है हम पर रब का उपकार। नारी है शक्ति नारी कुल का मान, बुजुर्गों का ज्ञान,नारी का सम्मान।
मां-बहन और अर्धांगिनी नारी के कई रूप, करती है खूब मेहनत चाहे वर्षा हो या धूप। नारी के आंचल में है ममता का छांव, मां है खिवय्या पार कराती हमारी नाव। नारी के मुख पर रहे सदा मुस्कान, बुजुर्गों का ज्ञान,नारी का सम्मान।
जो नामुमकिन को कर दे मुमकिन, ना करना कभी भी नारी का तौहीन। खुशियों की बगिया में नारी है प्रेम की बहार, मर्द कभी चुका नहीं पाएगा नारी का उपकार। मत करो जुल्म नारी भी है इंसान, बुजुर्गों का ज्ञान,नारी का सम्मान।
जब जन्म ले बेटी तो स्वतःघर आए धन, बेटी है अनमोल इसका करो सब जतन। ब्याह होकर बेटी जब जाए पर घर-द्वार, साथ में जाए लक्ष्मी करे घर का उद्धार। नारी बिन घर-द्वार लगे सुनसान, बुजुर्गों का ज्ञान,नारी का सम्मान।
अदम्य सहन-शक्ति का प्रतीक है नारी, सभी को भाति बड़ी लगती है प्यारी। नारी के अभाव में मानव-समाज है अर्थहीन, नारी से ही पुरुष का जीवन होता बेहतरीन। नारी है शक्ति-रूपा नारी है महान, बुजुर्गों का ज्ञान,नारी का सम्मान।
–— अकिल खान रायगढ़ जिला – रायगढ़ (छ. ग.)पिन – 496440.