मनीभाई नवरत्न

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

हर शाम सुबह होने का देती है पैगाम।

हर शाम सुबह होने का देती है पैगाम हर शाम सुबह होने का देती है पैगाम।उम्मीदें रखो दिल पर छोड़ो ना लगाम। आंधी आ जाए ,घरोंदे टूट जाए।आंधी थमने दो, जो हुआ रहने दो।फिर से बनाओ अपना मुकाम ।।हर शाम…

एक पेड़ की दो शाखाएं

एक पेड़ की दो शाखाएं एक पेड़ की दो शाखाएं ,एक हरी तो एक सुखी ।एक तनी तो एक झुकी।।ऐसे ही जीवन में दो पहलू हैकोई जश्ने चूर है तो कोई दुखी।।जब तक होठों में प्यास है ।तब तक कोई…

आती है खुशियां थोक में

आती है खुशियां थोक में आती है खुशी थोक में,तेरे आने से ।झरती है मोती लब में, मुस्कुराने से ।यह असर है तेरी दोस्ती काजो दी है तुमने मुझे, तुमसे दिल लगाने से ।।इंतजार रहता है तेरा, मुझे सांसो से…

घर के कितने मालिक -मनीभाई नवरत्न

घर के कितने मालिक वाह भाई !मैंने ईंटें लाई ।सीमेंट ,बालू , कांक्रीट, छड़और पसीने के पानी सेखड़ा कर लियाअपना खुद का घर।बता रहा हूँ सबकोमैं असल मालिक। ये “मैं और मेरा “मेरे होते हैं सोने के पहले।जैसे ही आयेगी…