मंजूर नहीं
संघर्षों में ही
काटूंगा मैं
अपना सारा जीवन
क्योंकि मुझे
किसी तरह से भी
किसी रूप में भी
किसी कारण वश भी
कदम दर कदम पर
समझौता…
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हृदय में उमड़ते सागर में से कुछ शब्द सुमन बन कलम के माध्यम से कागज रूपी साहिल पर आ जाते हैं
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