बचपन के पल                                           

दिन आते रहे,
दिन जाते रहे,
बचपन के दोस्त
दिनोंदिन मिलते रहे,

नटखट कारनामें
यादों में बदलते रहे,
वक़्त के तकाज़े से
सभी जुदा होते रहे,
सालोंसाल गुज़रते रहे,
कुछ दोस्त मिलते रहे,
कुछ दोस्त गुमशुदा
गुमनाम होते रहे,
काश ये बचपन के
नायाब पल ठहर जाते !
बचपन के दोस्त
मुझे फिर मिल जाते।

कवि : श्री राजशेखर सी    
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद


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