वर्षा ऋतु कविता – कवयित्री श्रीमती शशिकला कठोलिया
वर्षा ऋतु कविता ग्रीष्म ऋतु की प्रचंड तपिश, प्यासी धरती पर वर्षा की फुहार, चारों ओर फैली सोंधी मिट्टी,प्रकृति में होने लगा जीवन संचार। दिख रहा नीला आसमान ,सघन घटाओं से आच्छादित ,वर्षा से धरती की हो रही ,श्यामल…