Category हिंदी कविता

मानव समानता पर कविता

मानव समानता पर कविता हम मानव मानव एक समान।हम सब मानव की संतान ।धर्म-कर्म भाषा भूषा से ,हमको ना किञ्चित् अभिमान ।हिंदू की जैसे वेद पुराण ।बस वैसे ही बाइबल और कुरान ।सब में छुपी हुई है एक ही ज्ञान।सभी…

शादी से पहले

शादी से पहले मैं जीना चाहता थाएकांत जीवन प्रकृति के सानिध्य में।पर न जाने कब उलझासेवा सत्कार आतिथ्य में ।अनचाहे  विरासत में मिलीदुनियादारी की बागडोर ।धीरे-धीरे जकड़ रही हैमुझे बिना किए शोर।कभी तौला नहीं थाअपना वजूद समाज के पलड़ों में…

विदाई के पल पर कविता

विदाई के पल पर कविता वर्षों से जुड़े हुए कुछ पत्तेआज बसंत में टूट रहे हैं ।जरूरत ही जिनकी पेड़ मेंफिर भी नाता छूट रहे हैं। यह पत्ते होते तो बनती पेड़ की ताकत ।इन की छाया में मिलती सबको…

आओ स्कूल चलें हम

आओ स्कूल चलें हम आओ स्कूल चलें हम,स्कूल में खुब पढ़ें हम।जब तक सांसे चले,तब तक ना रुके कदम । पढ़ लिख के बन जाएं नेहरू।खुले गगन में उड़ेगें बन पखेरू।गाता रहे हमारी सांसो की सरगम।जैसे परी रानी की पायल…

कमाए धोती वाला खाए टोपी वाला

कमाए धोती वाला खाए टोपी वाला तेरी व्यथा,तेरी कथा,समझे ना ये दुनिया।लूटा तुझे अमीरों ने, पकड़ा दिया झुनझुनिया ।तूने आग में चलके ,पड़ाया रे पांव में छाला ।कमाए धोती वाला ,खाए टोपी वाला ।।1।। खड़े किए ,तूने सैकड़ों मंजिल ।फिर…

ममतामयी माँ -मनीभाई “नवरत्न”

यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। ममतामयी माँ लाई दुनिया…

राणा की तलवार

राणा की तलवार पावन मेवाड़ भू पर जन्मेमहाराणा प्रताप  शूर वीरअकबर से  संघर्ष  कियाकई वर्षों तक बनकर धीर lदृढ़  प्रतिज्ञा  वीरता  मेंनाम तुम्हारा रहे  अमरघास की रोटी खाकर तुमनेशत्रु से किया संग्राम समर lतलवारों के वार से जिसकेअकबर थर थर…

इधर-उधर की मिट्टी

इधर-उधर की मिट्टी ऐ! हवाये मिट्टी जो तुमसाथ लाई होये यहाँ कीप्रतीत नहीं होतीतुम चाहती हो मिलानाउधर की मिट्टीइधर की मिट्टी मेंऔर इधर की मिट्टीउधर की मिट्टी मेंतभी तो लाती होले जाती होसीमा पार मिट्टीलेकिन कुछ ताकतें हैंइधर भीउधर भीजो…

नशे में चित

नशे में चित मेरा शहर है विख्यातनहरों की नगरी के नाम सेआज मैं घूमते-घूमतेपहुँचा नहर परपानी लड़खड़ाता-सातुतलाता-साहोश गवांकर बह रहा था बहते-बहतेपानी संग बह रहे थेप्‍लास्‍टिक के खालीडिस्‍पोजल गिलास-प्‍लेटचिप्स-कुरकरे के खाली पैकेटशराब व खारे कीप्‍लास्‍टिक की खाली बोतलेंजो फैंके गए…

कागा की प्यास

कागा की प्यास कागा पानी चाह में,उड़ते लेकर आस।सूखे हो पोखर सभी,कहाँ बुझे तब प्यास।।कहाँ बुझे तब प्यास,देख मटकी पर जावे।कंकड़ लावे चोंच,खूब धर धर टपकावे।।पानी होवे अल्प,कटे जीवन का धागा।उलट कहानी होय,मौत को पावे कागा।। कौआ मरते देख के,मानव…