जीवनामृत मेरे श्याम
जीवनामृत मेरे श्याम : — अमृत कहाँ ले पाबे रे मंथन करे बगैर ।सद्ज्ञान नई मिले तोला साधन करे बगैर ।। मन मंदराचल बना ले हिरदे समुंद कर ,मन नई बँधावे देख ले बंधन करे बगैर ।। गुन दोष के…
जीवनामृत मेरे श्याम : — अमृत कहाँ ले पाबे रे मंथन करे बगैर ।सद्ज्ञान नई मिले तोला साधन करे बगैर ।। मन मंदराचल बना ले हिरदे समुंद कर ,मन नई बँधावे देख ले बंधन करे बगैर ।। गुन दोष के…
हिन्दी की बिंदी में शान हिन्दी भाषा की बिंदी में शान।तिरंगे के गौरव गाथा की आन।।राजभाषा का ये पाती सम्मान।राष्ट्रभाषा से मेरा भारत महान ।। संस्कृत के मस्तक पर चमके।सिंधी,पंजाबी चुनरी में दमके।।बांग्ला,कोंकणी संग में थिरके।राजस्थानी चूड़ियों में खनके ।।…
बसंत बहार शरद फुहार जाने लगीबसंती बहार आने लगी !कोयल की कूक गुंजे चहुँ ओरधीरे – धीरे धूप तेज कदम नेंबाग में आम बौराने लगी! शाम ढ़ले चहचहाते पक्षियोंघोसला को लौटने झुंड में,पेड़ों को पत्ते पीला होकरएक – एक कर…
” भोर का दिनकर “ पश्चिम के सूर्य की तरहदुनियाँ भी ….मुझे झूठी लगीमानवता काएक भी पदचिन्हअब तो दिखाई नहीं देताजागती आँखों केसपनों की तरहअन्तःस्थल कीभावनाएँ भीखण्डित होती हैंतब ..जीवन काकोई मधुर गानसुनाई नहीं देताफिर भी ….सफेदपोश चेहरों कोबेनकाब करते…
लकड़ियों पर कविता चिता की लकड़ियाँ,ठहाके लगा रही थीं,शक्तिशाली मानव को,निःशब्द जला रही थीं!मैं सिसकती रही,जब तू सताता था,कुल्हाड़ी लिए हाथ में,ताकत पर इतराता था!भूल जाता बचपन में,खिलौना बन रिझाती रही,थक जाता जब खेलकर,पालने में झुलाती रही!देख समय का…
बोल रहे पाषाण बोल रहे पाषाण अबव्यक्ति खड़ा मौन है,छोड़ा खुद को तराशनापत्थरों पर ही जोर है।कभी घर की दीवारेंकभी आँगन-गलियारे,रखना खुद को सजाकररंग -रौगन का दौर है।घर के महंगे शो पीसबुलाते चारों ओर हैं ,मनुज को समय नहींअब चुप्पी…
“आया बसंत” नव पल्लव नव रंग लिए,नव नवल पुष्प का गंध लिए।सरसों की पीली चुनरी ओढ़े, टेशू के सुन्दर रंग लिए। खेतों और खलिहानों में, बागों और कछारों में। जंगल और पहाड़ों में, रंग बसंती संग लिए। उलट-पुलट चल रही बयारें,…
दोहा सप्तक *जो तू तोड़े फूल को , किया बड़ा क्या काम ।फूलों को मुरदा करे , खुश हो कैसे राम ।। *जीवन के सौन्दर्य से , जब होगी पहचान ।पायेगा तब ही मजा , सचमुच में इंसान ।। …
जिन्दगी पर कविता जिन्दगी तो प्रेम की एक गाथा है,जिन्दगी भावुक प्रणय की छाँव है,जिन्दगी है वेदना की वीथिका सीजिन्दगी तो कल्पना की छुवन भर है। जिन्दगी है चन्द सपनों की कहानी,जिन्दगी विश्वास के प्रति सावधानी,जिन्दगी इतिहास है निर्मम् समय…
मिला जो आशियाना मिला जो आशियानावह सर्द रातों में ठिठुरताआसरा ढूंढता पेड़ो के नीचेपेड़ भी तो टपक रहे हैंचीथड़े खोजता अपने लिएजिससे ढक सकेकम्पित बदन कोमसृण पात…बैरी बनेएक बूंद ….एक शीतल बूंदसिहरन पैदा करती अंतर तकश्वान से सटकरहल्की गर्माहट महसूस…