चितवन पर कविता

चंचल चर चितवन चषक, चण्डी,चुम्बक चाप्!
चपला चूषक चप चिलम,चित्त चुभन चुपचाप!
चित्त चुभन चुपचाप, चाह चंडक चतुराई!
चमन चहकते चंद, चतुर्दिश चष चमचाई!
चाबुक चण्ड चरित्र, चाल चतुरानन चल चल!
चारु चमकमय चित्र, चुनें चॅम चंदन चंचल!

*चंडक~चंद्र, चॅम~मित्र, चष~दृश्य शक्ति, चप~चूने का घोल*
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रचनाकार -✍©
बाबू लाल शर्मा,बौहरा
सिकंदरा,दौसा, राजस्थान
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