सुसंस्कृत मातृभाषा दिवस पर कविता

मातृभाषा दिवस पर कविता अपनी स्वरों में मुझको ‘साध’ लीजिए।मैं ‘मृदुला’, सरला, ले पग-पग आऊँगी।। हों गीत सृजित, लयबद्ध ‘ताल’ दीजिए।मधुरिमा, रस, छंद, सज-धज गाऊँगी।। सम्प्रेषित ‘भाव’ सतत समाहित कीजिए।अभिव्यंजित ‘माधुर्य’, रंग-बिरंगे लाऊँगी।‌। ‘मातृभाषा’ कर्णप्रिया, ‘सुसंस्कृत’ बोलिए।सर्व ‘हृदयस्थ’ रहूँ, ‘मान’ घर-घर पाऊँगी।। – शैलेंद्र नायक ‘शिशिर’

छत्तीसगढ़ महतारी पर कविता

सुघ्घर हाबय हमर छत्तीसगढ़ महतारी-पुनीत राम सूर्यवंशी जी (chhattisgarh mahtari)

धनतेरस -रामनाथ साहू ” ननकी “

                * धनतेरस * धनतेरस पर कीजिए ,                   धन लक्ष्मी का मान ।पूजित हैं इस दिवस पर ,                     धन्वंतरि भगवान ।।धन्वंतरि भगवान ,         शल्य के जनक चिकित्सक ।महा … Read more

तन पर कविता-रजनी श्री बेदी

तन पर कविता हर मशीन का कलपुर्जा,मिल जाए तुम्हे बाजार में।नहीं मिलते हैं तन के पुर्जे,हो  चाहे उच्च व्यापार में। नकारात्मक सोचे इंसा तो, सिर भारी हो जाएगा।उपकरणों की किरणों से  , चश्माधारी  हो जाएगा।जीभ के स्वादों के चक्कर में,न डालो पेनक्रियाज को मझधार में।नहीं मिलते हैं तन के पुर्जे,हो चाहे उच्च व्यापार में। तला हुआ जब … Read more

संयुक्त राष्ट्र दिवस पर कविता-अरुणा डोगरा शर्मा

संयुक्त राष्ट्र दिवस पर कविता मैं पृथ्वी,सुनाती हूं अपनी जुबानी साफ जल, थल, वायु से,साफ था मेरा जीवमंडल।मानव ने किया तिरस्कार,बर्बरता से तोड़ा मेरा कमंडल।दूषित किया जल, थल, वायु को की अपनी मनमानी ।मैं पृथ्वी,सुनाती हूं अपनी जुबानी। उत्सर्जन जहरीली गैसों का, औद्योगिकरण का गंदा पानी, वन नाशन,अपकर्ष धरा का निरंतर बढा़ता चला गया।ऋषियो, मुनियों ने माना था,मुझे कुदरत का … Read more