दोहा छंद विधान व प्रकार – प्रदीप कुमार दाश “दीपक”
“दोहा” अर्द्धसम मात्रिक छंद है । इसके चार चरण होते हैं। विषम चरण (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरण (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं।
विषम चरणों के आदि में प्राय: जगण (।ऽ।) टाला जाता है, लेकिन इसकी आवश्यकता नहीं है। कबीर जी का दोहा ‘बड़ा हुआ तो’ पंक्ति का आरम्भ भी ‘ज-गण’ से ही हुआ है। सम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा (ऽ।) का होना आवश्यक है, एवं साथ में तुक भी ।
विशेष – (क) विषम चरणों के कलों का क्रम निम्नवत होता है –
4+4+3+2 (चौकल+चौकल+त्रिकल+द्विकल)
3+3+2+3+2 (त्रिकल+त्रिकल+द्विकल+त्रिकल+द्विकल)
सम चरणों के कलों का क्रम निम्नवत होता है –
4+4+3 (चौकल+चौकल+त्रिकल)
3+3+2+3 (त्रिकल+त्रिकल+द्विकल+त्रिकल)
(ख़) उल्लेखनीय है कि लय होने पर कलों का प्रतिबन्ध अनिवार्य है किन्तु कलों का प्रतिबन्ध होने पर लय अनिवार्य नहीं है। जैसे –
श्रीरा/म दिव्य/ रूप/ को , लंके/श गया/ जान l
4+4+3+2, 4+4+3 अर्थात कलों का प्रतिबन्ध सटीक है फिर भी लय बाधित है l
(ग) कुछ लोग दोहे को दो ही पंक्तियों/पदों में लिखना अनिवार्य मानते हैं किन्तु यह कोरी रूढ़िवादिता है इसका छंद विधान से कोई सम्बन्ध नहीं है l दोहे के चार चरणों को चार पन्तियों में लिखने में कोई दोष नहीं है l
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
– कबीर जी
पंथी को छाया नहीं, फल लागैं अति दूर ।।
दोहों पर कई विद्वान अपने-अपने मत रख चुके हैं फिर भी कई बार देखा जाता है कि नये रचनाकारों को दोहा छंद के विधान व इसके तेईस प्रकारों के संदर्भ ज्ञात नहीं रहते हैं । इस जानकारी में भ्रम की स्थिति न रहे, अस्तु दोहा ज्ञान में एक छोटा सा प्रयास मेरे द्वारा प्रस्तुत है –
दोहा छंद के 23 प्रकार
- भ्रमर दोहा – 22 गुरु 04 लघु वर्ण
- सुभ्रमर दोहा – 21 गुरु 06 लघु वर्ण
- शरभ दोहा – 20 गुरु 08 लघु वर्ण
- श्येन दोहा – 19 गुरु 10 लघु वर्ण
- मण्डूक दोहा – 18 गुरु 12 लघु वर्ण
- मर्कट दोहा – 17 गुरु 14 लघु वर्ण
- करभ दोहा – 16 गुरु 16 लघु वर्ण
- नर दोहा – 15 गुरु 18 लघु वर्ण
- हंस दोहा – 14 गुरु 20 लघु वर्ण
- गयंद दोहा – 13 गुरु 22 लघु वर्ण
- पयोधर दोहा – 12 गुरु 24 लघु वर्ण
- बल दोहा – 11 गुरु 26 लघु वर्ण
- पान दोहा – 10 गुरु 28 लघु वर्ण
- त्रिकल दोहा – 09 गुरु 30 लघु वर्ण
- कच्छप दोहा – 08 गुरु 32 लघु वर्ण
- मच्छ दोहा – 07 गुरु 34 लघु वर्ण
- शार्दूल दोहा – 06 गुरु 36 लघु वर्ण
- अहिवर दोहा – 05 गुरु 38 लघु वर्ण
- व्याल दोहा – 04 गुरु 40 लघु वर्ण
- विडाल दोहा – 03 गुरु 42 लघु वर्ण
- श्वान दोहा – 02 गुरु 44 लघु वर्ण
- उदर दोहा – 01 गुरु 46 लघु वर्ण
- सर्प दोहा – केवल 48 लघु वर्ण
दोहा छंद विधान व प्रकार के 16 दोहे
माँ वाणी को कर नमन, लिखूँ दोहा प्रकार ।
भूल-गलती क्षमा करें, विनम्र करूँ गुहार ।।
चार-चरण का छंद यह, अनुपम दोहा स्वरुप ।
विषम में मात्रा तेरह, एकादश सम रूप ।।
तेरह-ग्यारह की यति, गति की शक्ति अनूप ।
गुरु-लघु मिल पूरण करें, सम चरण अंतिम रूप ।।
बाइस गुरु औ चार लघु, भ्रमर उड़ रहा जान ।
इक्कीस गुरु अगर छः लघु, सुभ्रमर होता मान ।।
बींस गुरु जान शरभ के, लघु होते हैं आठ ।
दस लघु और उन्नीस गुरु, यह श्येन का पाठ ।।
गुरु अठारह लघु बारह, यह दोहा मण्डूक,
लघु चौदह व गुरु सत्रह, जान फिर मर्कट रूप ।।
सोलह-सोलह करभ के, लघु-गुरु द्वय सम रूप ।
पन्द्रह गुरु जान नर के, लघु अठारह स्वरुप ।।
चौदह गुरु और बींस लघु, हंस भरता उड़ान ।
तेरह गुरु बाईस लघु, गयंद लेना मान ।।
पयोधर के गुरु बारह, लघु होते चौबीस ।
बल के गुरु ग्यारह हैं, लघु मिलते छब्बीस ।।
दस गुरु दोहा पान के, लघु अट्ठाइस जहाँ ।
त्रिकल के मिलें तीस लघु, गुरु नव मिलाप यहाँ ।।
आठ गुरु हों बत्तीस लघु, जलचर कच्छप जान ।
सप्त गुरु व चौंतीस लघु, जल में मच्छ समान ।।
षट गुरु अउ छत्तीस लघु, परिचय यह शार्दूल ।
लघु अड़तीस व पंच गुरु, अहिवर का है रूप ।।
चार गुरु व चालीस लघु, दोहा छंद व्याल ।
लघु द्वाचत्वारिंशत्, गुरु त्रय से विडाल ।।
लघु चव्वालीस गुरु द्वे, श्वान दोहा है जान ।
छियालीस लघु गुरु एकः, उदर दोहरा मान ।।
लगे छंद मनहरण यह, लघु अड़तालिस वर्ण ।
सर्प ये दोहा अनन्य, गुरु जिसके हैं शून्य ।।
दोहरे रसिक आप तो, विज्ञ पाठक सुजान ।
छंद मर्म बतला रहा, रवि को दीप समान ।।