
दोहे “जगदम्बा महिमा”
नवराते हैं चल रहे, करें मात का ध्यान।
सबका बेड़ा पार हो, माता दो वरदान।।
मात हाथ सर पे रखें, बने सभी के काम।
परम सत्य इस विश्व का, माँ अम्बा का नाम।।
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सभी उपासक मात के, चलो चलें दरबार।
ध्यान भक्ति मन में धरें, होगा बेड़ा पार।।
रोली अक्षत को चढ़ा, पूजें माँ को आप।
माता दें वरदान तो, मिटे जगत के ताप।।
माता का हम ध्यान धर, देवें कन्या-भोज।
दुर्गा के आशीष से, मिले मात सा ओज।
जगदम्बे वर आप दें, मस्तक ‘बासु’ नवाय।
काव्य रचूँ ऐसा मधुर, जो जग को हर्षाय।।
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया