हरेली त्यौहार

छत्तीसगाढ़ी रचना
छत्तीसगाढ़ी रचना

सावन की अमावस है वर्षा की बौछार,
लो आ गई जीवन में खुशियाँ अपार।
छ.ग.का प्रथम त्यौहार भरा है संस्कार,
खुशियाँ लेकर आई, हरेली त्यौहार।

पशु- हल औजारों की करें पुजा,
है श्रद्धा मन में कोई नहीं है दूजा।
लोग करते हैं सभी से सद्व्यवहार,
खुशियाँ लेकर आई, हरेली त्यौहार।

चारों दिशाओं में है छाई हरियाली,
सभी लोग व्यस्त हैं कोई नहीं खाली।
प्रकृति ने किया प्राणियों का उद्धार,
खुशियाँ लेकर आई, हरेली त्यौहार।

खुशबू की बौछार लेकर आई है पवन,
चहकते पशु पक्षी और खुश है चमन।
बच्चे खेले रस्सी दौड़ और नारियल फेंक,
प्रकृति है मंत्रमुग्ध प्राणियों के खुशी देख।
कोई दे बधाई और कोई दे उपहार,
खुशियाँ लेकर आई हरेली त्यौहार।

नई है मौसम – हवा नए है मित्र,
खेतों में है धान रोपा का चित्र।
छत्तीसगढ़ में लोक कला का ऐसा है योग,
हरेली त्यौहार में सभी करें गेड़ी का प्रयोग।
प्रकृति के उपहार को दो तुम संवार,
खुशियाँ लेकर आई, हरेली त्यौहार।

अकिल खान रायगढ़ जिला रायगढ़ (छ.ग.) पिन – 496440.

हरियाली पर्व

हर हर शंभू सावन का महीना है।
पर्व हरियाली का लेकर आया पहला उत्सव है ।
धरती हरे रंग की साड़ी पहनी,लगती कोई सुन्दर दुल्हन है ।

सावन की झड़ी में , आकाश में घुमड़ता बादल है । मंदिरों में शिवनाम है ।देखो किसानों को खेतों में करता काम है । हरियाली पर्व प्रकृति का उत्सव है ।

नये फसल अंकुरण होने लगें हैं ।
नदियों में तालों में उफ़ान है ।
भारत में कहीं जल मग्न कहीं सुखा और तुफ़ान है। पर्यावरण को ‌मानव ने दिया है जो दर्द
उसकी यही पहचान है।

हरियाली पर्व में ,हो रही ‌हरियाली देवी की पूजा यहां सुंदर विधान है
आया हरियाली का पर्व आनन्द,और उत्सव लिए यही जीवन की पहचान है ।

स्वपन बोस ,, बेगाना,,
9340433481

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