हरतालिका पर कविता

हरतालिका

वर्षा में मन भावन,
माह भाद्रपद पावन,
उमा सा सुहाग संग,
चाहे तिय बालिका।

तृतीया शुक्ल पक्ष में,
नक्षत्र हस्त कक्ष में,
पूजे सबलाएँ सत्य,
पार्वती प्रणपालिका।

धारती कठोर प्रण,
निर्जला चखे न तृण,
पूर्ण दिन रात व्रती,
तीज हरतालिका।

नीलकण्ठ हैं अघोरी,
उमा ही भवानी गौरी,
धारती विविध रूप,
दुष्ट हेतु कालिका।
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✍©
बाबू लाल शर्मा, बोहरा, विज्ञ
सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान

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