हिंदी छा जाए दुनिया में

गीत-उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट

जिससे हैं हम जुड़े जन्म से, वही हमारी प्यारी भाषा,
हिंदी छा जाए दुनिया में, पूरी हो अपनी अभिलाषा।

अपनी भाषा के हित में हम, अपना जीवन करें समर्पित
जितनी उन्नति होगी इसकी, उतने ही हम होंगे गर्वित

बच्चे हिंदी पढ़ें-लिखें जब, बदले जीवन की परिभाषा
हिंदी छा जाए दुनिया में, पूरी हो अपनी अभिलाषा।

अब अभियान चले कुछ ऐसा, लोग यहाँ पर कभी न भटकें
किसी दूसरी भाषा में क्यों, फँसकर उच्चारण में अटकें

करें विचार प्रकट हम जो भी, उसमें आए नहीं कुहासा
हिंदी छा जाए दुनिया में, पूरी हो अपनी अभिलाषा।

होता सही माध्यम है वह, जिससे अपनेपन का नाता
जब संपर्क नहीं हो इससे, जीवन फिर बोझिल हो जाता

जो स्वाभाविक लगे न उससे, मिलती केवल यहाँ दिलासा
हिंदी छा जाए दुनिया में, पूरी हो अपनी अभिलाषा।

नहीं विरोध किसी भाषा से, अपनी बात हमें है कहना
सुनते और समझते उसको, जहाँ हमें पड़ता है रहना

लिखा गया साहित्य यहाँ जो, पैदा करता है जिज्ञासा
हिंदी छा जाए दुनिया में, पूरी हो अपनी अभिलाषा।

रचनाकार -उपमेंद्र सक्सेना एड.
‘कुमुद- निवास’
बरेली (उ.प्र.)


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