मानवता के दीप /भुवन बिष्ट

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मानवता के दीप/ भुवन बिष्ट मानवता के दीप/ भुवन बिष्ट हम तो सदा ही मानवता के दीप जलाते हैं,उदास चेहरों पर सदा मुस्कराहट लाते हैं। हार मानकर  बैठते जो कठिन राहों को देख,हौंसला बढ़ाकर उनको भी चलना सिखाते हैं। कर देते पग डगमग कभी उलझनें देखकर,मन में साहस लेकर हम फिर भी मुस्कराते हैं। मिल जाये … Read more

चांदनी रात / क्रान्ति

chandani raat

चांदनी रात / क्रान्ति द्वारा रचित चांदनी रात / क्रान्ति चांदनी रात मेंपिया की याद सताएमिलने की चाहदिल में दर्द जगाए।। हवा की तेज लहरजिगर में घोले जहरकैसे बताऊं मैं तुम्हेंसोई नहीं मैं रातभर।। दिल के झरोखे मेंदस्तक देती हवाएंदेखकर हंसे मुझपरदिल के पीर बढ़ाए।। दिल पर रख के पत्थरदर्द अपना छुपाया हैकैसे बताऊं तुझको … Read more

धूप की ओट में बैठा क्षितिज / निमाई प्रधान’क्षितिज’

क्षितिज सूर्य

धूप की ओट में बैठा क्षितिज /निमाई प्रधान’क्षितिज’ रवि-रश्मियाँ-रजत-धवल पसरीं वर्षान्त की दुपहरी मैना की चिंचिंयाँ-चिंयाँ से शहर न लगता था शहरी वहीं महाविद्यालय-प्रांगण में प्राध्यापकों की बसी सभा थी किंतु परे ‘वह’ एक-अकेला छांव पकड़ना सीख रहा था ! धूप की ओट में बैठा ‘क्षितिज’ ख़ुद के भीतर जाना सीख रहा था !! मधु-गीत … Read more

दैव व दानवों की वृत्तियां /पुष्पा शर्मा “कुसुम”

dev danav mohini

दैव व दानवों की वृत्तियां /पुष्पा शर्मा “कुसुम”द्वारा रचित दैव व दानवों की वृत्तियां/ पुष्पा शर्मा “कुसुम” कंटक चुभकर पैरों मेंअवरोधक बन जाते हैं,किन्तु सुमन तो सदैव हीनिज सौरभ फैलाते हैं। बढा सौरभ लाँघ कंटकवन उपवन और वादियाँ,हो गया विस्तार छोड़करक्षेत्र धर्म और जातियाँ। धरा के अस्तित्व से चलीदैव व दानवों की वृत्तियां,ज्ञान का ले … Read more

कहां गए हो छोड़कर आती हर पल याद / पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’

virah viyog bewafa sad women

कहां गए हो छोड़कर आती हर पल याद / पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’ द्वारा रचित कहां गए हो छोड़कर आती हर पल याद/ पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’ कहाँ गए हो छोड़कर,आती हर पल याद।घर का हर कोना हुआ,यादों से आबाद। चीख रहा है बैठका,रोती चौकी रिक्त।टिकी छड़ी दीवार से,देख नैन हों सिक्त।बेल वेदना उर बढ़े,मिले विरह की … Read more