जब तूने हमें छोड़ के दौड़ लगाई
जब तूने हमें छोड़ के दौड़ लगाई
रचनाकार :मनीभाई नवरत्न
रचनाकाल :15 नवम्बर 2020
तू चलता है
लोग बोलते हैं
तू दौड़ता क्यूँ नहीं ?
तू सबसे काबिल है।
अब दौड़ता हूँ
फिर लोग बोलते हैं
गिरेगा तभी जानेगा
हम क्यूँ चल रहे हैं ?
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तूने फिर बातें मानी,
लोगों की सूनी।
फिर से चला उनके साथ
लेकिन अबकी बार
तेरी चाल ढीली है।
वो बढ़ रहे हैं तुझसे आगे
पीछे पलट तुझे देखते,
जाने क्यूँ मुस्कुराके।
लेकिन अब क्यूँ
कोई कहता नहीं ?
आ साथ चले प्रिय
संग संग।
ये वहीं लोग है
जिसे तूने माना हमसफर।
अब तू देता लाख दुहाई
ढोल पीट पीट कर बताता
कैसे होती बेवफाई ?
ये सारे किस्से पुराने मैले हैं।
दुनिया ने सबके जज्बातों से खेले हैं।
उसे बात समझ तब आई
जब पीछे से किसी ने कहा – “भाई !
क्या हुआ उस रेस का?
जब तूने हमें छोड़ के दौड़ लगाई।
–मनीभाई नवरत्न