मनीभाई के प्रेम कविता
मनीभाई के प्रेम कविता

कुछ ऐसे जुड़े किस्से मेरे तुमसे
कुछ ऐसे, जुड़े किस्से ,मेरे तुमसे ।
जैसे कागज का कलम से ।
जैसे पत्रों का शबनम से।
कसम से हां कसम से ।।
यार जुड़ा मुझसे जैसे चंदा से रोशनी ।
यार जुड़ा मुझसे जैसे बरखा से दामिनी ।
जुड़ गया तुमसे साथी जैसे दिया संग बाती ।।
कुछ ऐसे जुड़े किस्से मेरे तुमसे।
जैसे दुनिया का जन्म से ।
जैसे चाहत का सनम से ।
कसम से हां कसम से ।
रहना मेरे संग जैसे राजा की रानी ।
करना मुझसे जंग जैसे आग से पानी।
मिल जाना मुझसे दिलबर जैसे सागर से लहर ।।
कुछ ऐसे जुड़े किस्से मेरे तुमसे ।
जैसे संतो का रहम से
जैसे दुल्हन का शरम से ।।
कसम से हां कसम से
दो पल के रिश्ते
दो पल के रिश्ते ,बिखरने के लिए ही बनते हैं ।
यादों में बस के हर पल दिल में ही रहते हैं ।
उन लमहों को सोचकर हम
कभी हंसते हो कभी रोते रहते हैं ।
मिलते वक्त सोचा ना था कि बिछड़ जाएंगे ।
खिलते वक्त फुल भी लगे ना कि झड़ जाएंगे ।
पर समय के दरमियां हम सब गुजर जाना है।
कुछ पाकर के कुछ खो जाना है।
तो क्यों पीर को दबाए हुए सहते ही रहते हैं ।
खुशियां जाती है गम का आभास दिलाने को।
हमको जिंदगी का कड़वा सच से मिलाने को ।
यह जानते हुए भी हम मेहमान चंद घड़ी के
कभी चमकते कभी बुझते सितारे हैं फुलझड़ी के।
मुरझाना है फूलों को तो क्यों यह महकते हैं?
ये कोई बात है ? जो तू साथ है
ये कोई बात है ?जो तू साथ है ।
और तनहा रात है ये कोई बात है ?
शाम भी ढले, दिल भी जले आ लग जा गले ।
अधूरी मुलाकात है ये कोई बात है।
तू है चंद्रमुखी तेरी आंखें झुकी पल भी देखो रुकी ।
तड़पे जज्बात है ये कोई बात है ?
उठ जाए रवाँ मौसम है जवां मेरे दिलबर तू कहां।
छुड़ाया जो हाथ है ये कोई बात है?
यह दुनिया हमारा ना होता
यह दुनिया हमारा ना होता,
चांद सितारे का नजारा ना होता।
अगर आप का सहारा ना होता।।
भटक जाते मेरे कदम जीवन की राह में ।
देखते हैं ना अगर तुम अपनी निगाह में।
रखते ना तुम अगर चाह में तो मैं आवारा होता।।
जीने का मतलब है अब ,आप के खातिर ।
मरने का मकसद है अब, आप के खातिर ।
हम बने आपसे माहिर, बिन तेरे गुजारा ना होता।।
अगर आपका ….यह दुनिया…..
रे पिया ! काहे न धीर धरे
रे पिया !काहे न धीर धरे।
सोच-सोचके क्यों तिल-तिल मरे।
कब तक छाये रहे दुख की बदली ।
कभी तो लेंगे अंगड़ाइयां ।
बदल जाएंगे जश्न में तेरी हर एक छोटी तनहाइयां।
अनजानी अनसुनी आहट पर काहे तू डरे ।
रेत सा छूटता है हाथ से सब कुछ।
पर मेरा नाम साथ छूटेगा।
मायूस हो क्यों तुम ऐसे भला
आखिर कब तक हालात रूठेगा ।
हर दिन पल छिन पंछी नई उड़ान भरे ।
रे पिया काहे ना धीर धरे…
पहली दफा जब नजरें मिली
पहली दफा जब नजरें मिली, लगने लगे थे पागल।
धीरे- धीरे ये असर हुआ है , भूलने लगी मेरा कल।
रंगने लगी, संवरने लगी,
तेरे ही यादों में हर पल।
मचलने लगी, संभलने लगी,
तुमसे गई हूँ बदल।
नकल …आजकल
करने लगी तेरी नकल।
अमल…. हरपल
बातों पे तेरी हो अमल।
गुम हो गई मेरी चहुँ दिशाएं
गुम हो गई मेरी चहुँ दिशाएं ।
कोई आकर मुझे राह दिखाए ।
भटक ना जाऊं गम के भंवर में।
सैलाब उमड़ रहा है हर एक लहर में ।
हाथ पकड़कर तूफान से लड़कर
कोई मुझे पार लगाए ।
छा रहा है निराशा के बादल
दिल में बढ़ रही है हलचल ।
न जाने किसका कोप छाया
आशा की किरण न दिखे एक पल।
अब तो कोई मुझे चाहकर पास आकर बुलाए ।।
धुआँ सा छा रहा मेरे चारों ओर
जकड़ा मैं जा रहा न जाने किस डोर?
खलबली सी मची मेरे आस पास
एक घड़ी एक लम्हा ना आए मुझे रास।
कोई दीवानी अपना बनाकर मुझको दीवाना बनाए।।
तेरी एक छुअन से
तेरी एक छुअन से
दिल मेरा पिघल जाता है ।
तेरी एक छुअन से
मन मेरा बहल जाता है ।
तेरी एक छुअन से
मेरी सांसे रुक जाती है ।
तेरी एक छुअन से
मेरे नैन झुक जाती है ।
तेरी एक छुअन से
बदल गई मेरी दुनिया ।
तेरे इक छुअन से
छा गई मदहोशियां ।
तेरी एक छुअन से
चैन मेरा खोने लगा ।
तेरी एक छुअन से
कुछ-कुछ होने लगा ।
तेरी एक छुअन से
तन मेरा महक जाता है ।
तेरी एक छुअन से
यह समाँ चहक जाता है।
तेरी एक छुअन से
मुझे खुशियां मिल जाती है ।
तेरी एक छुअन से
ये हथेलिया खिल जाती है।
कैसे सुबह आज है ?
कैसे सुबह आज है ?
रंग बिरंगी साज है ।
कुछ तो छुपी राज है।
आज अलग अंदाज है।
जिया… जिया धड़क जाती है .
पिया…. पिया गाती है .
सिखलाती है मुझे ,मोहब्बत कैसे करूं ।
तिल तिल करके तुझ पर क्यों ना मरू ।
कभी शर्म आऊं कभी घबराएं
कैसे मुझे लाज है?
आज अलग अंदाज है ।।
होके ….होके तुमसे मैं दूर .
लौटे….लौटे पांव मेरे मजबूर.
कसूर नहीं सजना तेरा कुछ इसमें ।
मैं ही नहीं मेरे बस में ।
कभी गीत गाऊं कभी गुनगुनाऊं
कैसे गले में राग है ?
आज अलग अंदाज है।।
जाओ जी जाओ ढूंढ के लाओ
जाओ जी जाओ ,ढूंढ के लाओ।
मोरे पिया को, ढूंढ के लाओ।
रुठ गई है जो हमसे
टूट गई है जो दिल से
उनको तुम मनाओ ।।
बड़ी जिद्दी है ,दूर चली जाएगी ।
बड़ी जिंदगी है, उस से कटना पाएगी ।
मेरा कोई दोष नहीं,
कोई तो समझाओ ।।
बड़ी झूठी है ,हम को तड़पा रही है।
बड़ी मीठी है, अपना जी बहला रही है।
जान गए हम उनकी शरारतें ,
इतना ना इतराओ ।।
जाओ जी जाओ….
मनीभाई नवरत्न