कविता प्रकाशित कराएँ

यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है।

मां पर कविता

maa-par-hindi-kavita
माँ पर कविता

वो दिन भी कितने अच्छे थे ।
जब हम सब छोटे बच्चे थे ।
नित मां की गोद में सोते थे ।
मां से ही लिपटकर रोते थे ।

फिर जाने क्यों हम बड़े हुए ?
अपने पैरों पर खड़े हुए।
मां की ममता से दूर हुए।
यूं क्यों कैसे मजबूर हुए?

आती जो यादें बचपन की ,
आंखों में आंसू आ जाते ।
वो दूध मलाई रोटी चावल ,
चंदामामा के नाम पे खा जाते ।

रोज प्यार से नहला कर,
मुझको खूब सजाती थी मां।
नजर लगे ना बुरी किसी की ,
काला टीका रोज लगाती थी मां ।

मेरी नटखट बदमाशी को ,
बालापन की भूल बताती थी मां।
मांगा मैं जो कुछ भी कभी भी,
तुरंत उसे दे जाती थी मां।

सबसे सीधा सबसे भोला ,
सबसे अच्छा समझती थी ।
मेरी एक छोटी सी सिसकी पे,
मां की छाती जलती थी।

मां की भोली सूरत है।
वो ममता की मूरत है।
रहना सदा ही साथ मेरे,
मां मुझको तेरी जरूरत है।

मां के जैसा रूप न देखा,
जग में मैं तो और कहीं।
मिलता नहीं कभी किसी को ,
मां के सिवा सच्चा ठौर कहीं।


बाल कविता 2- मां और बच्चे (कल और आज)



मां की क्या भोली सूरत है।
वो ममता की सच्ची मूरत है ।
सबके सुख दुख में देखो
बनती सब की जरूरत है ।
मां के आशीष से काम बने ।
मां के आदर्शों से नाम बने ।
मां पूजन कर घनश्याम बने ।
कभी कान्हा तो कभी राम बने ।
सच में मां ही एक मुहूर्त है ।
मां तेरी बहुत जरूरत है।

पर देख जमाने की रीत नई
मां से दिखती है प्रीत नहीं।
निजी छाती की लहू पिला
देती पहलू में उन्हें सुला।
एक आंवला से सारे बच्चे
नटखट या हों दिल के सच्चे।
पल जाते हैं सारे बच्चे।
पर कैसे हुए है वे बच्चे।
मां अब ना लगते अच्छे।

कुछ मां की भी है रीत निराली।
उनकी भी दिखती प्रीत निराली।
देख देख उन सब की करनी
मेरा रोम सिहर जाता ।
एक मोबाइल के चक्कर में
अब मां से बच्चा बिछड़ जाता है

इस आधुनिकता के दौर में।
हम कहां है किसके ठौर में।
ममता की डोर है टूटी
आदर के भाव है छूटी।
छूट गए सब रिश्ते नाते
सबको निजता है भाते।
एक दिनों के होते उत्सव,

बाकी दिन फिर दुख में जाते।



आचार्य गोपाल जी
उर्फ
आजाद अकेला बरबीघा वाले


प्लस टू उच्च विद्यालय बरबीघा शेखपुरा बिहार

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *