नाम पर कविता
CLICK & SUPPORT
नाम पर कविता
अक़्सर मुझे
मेरे कानों में
सुनाई दे जाती है
मेरे नाम से पुकारती हुई
मेरी दिवंगत माँ की आवाज़
और घर के दूसरे कमरे में सो रहे
बाबूजी की पुकार
माँ की पुकार सुन
महज़ अपना वहम समझकर
मौन संतुष्ट हो जाता हूँ
CLICK & SUPPORT
पर जब जब बाबूजी के
पुकारने की आवाज़ आती है
मेरे कानों में,
हड़बड़ाकर चला जाता हूँ
उनके कमरे में
और पूछता हूँ-
क्या हुआ बाबूजी..?
बाबूजी सिर हिलाते हुए
कहते हैं-कुछ नहीं
पत्नी से पूछता हूँ-
कि आख़िर मुझे
मेरे नाम की पुकार
क्यों सुनाई देती है बार-बार
पत्नी कहती है-कुछ नहीं
आपके कान बजते हैं !
– नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
9755852479