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मुझे इंसाफ चाहिए – काजल साह

नारी चेतना पर आधारित यह कविता

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मुझे इंसाफ चाहिए

रो रही हूँ मैं
खुद की जिंदगी पर।
दर्द सह रही हूँ
जिंदगी भर।
फाड़ गये मेरे वस्त्र
उन दरिंदो ने,
अपने शौक पूरा करने के लिए।
मां ने पाला था

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मुझे बड़े प्यार से।
पिता ने किया था मेरी
सारी इच्छओ को पूरा।
डर सा लग रहा हैं अब
मुझे गिरकर फिर से उठने में।
फिर भी मैं उठूंगी ।
दरिदों को सजा दूंगी।
मैं इंसाफ़ लूंगी।
हर बेटी को सीख दूंगी।
ना डरना है,
तुझे किसी से
खड़ा होना है ,
अपने पैरों पर।
मुझे इंसाफ मिलेगा और तुझे भी
अपने हक के लिए लड़ना तो होगा।

काजल साह

No Comments
  1. Pinki sah says

    Nice

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