नारी तुम हो नदी की धारा
कविता बहार लेखन प्रतियोगिता २०२१
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष
शीर्षक:”नारी तुम हो नदी की धारा”
नारी तुम हो नदी की धारा
तुमसे ही है जीवन सारा,
तुम ही हो शक्ति,
तुम ही हो भक्ति,
पुरातन से लेकर नूतन तक ,
तुमने ही यह दुनिया सवारी,
इतने जुल्म सहकर,
कुरीतियो का ज़हर पीकर,
पहाड़ जैसी मुसीबत झेलकर भी,
अपने मार्ग से न डगमगाई,
और ओढ़ी सफलता की रजाई ।
कभी लक्ष्मि बाई बनकर,
अंग्रज़ो को धूल चटाई।
तो कभी इंदिरा गाँधी बनकर,
देश हित सरकार बनाई।
कभी सावित्री फुले बनकर
कुरीतियो के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई।
कभी कल्पना चावला बनके,
चाँद तक पहुँचने की राह बताई।
कभी किरण बेदी बनकर,
चोरो की करी धुलाई।
तो कभी लेखिका बनकर,
कलम की ताकत बताई।
कभी पी वी सिंधु बनके,
ओलिंपिक मैं गाड़ दिए झंडे।
कभी मैरीकॉम बनके,
दिखाई मुक्केबाज़ी की कला।
तो कभी श्वेता सिंह बनके,
सारे जहाँ की खबर सुनाई।
हर रूप में तुम हो आई,
जिसमे यह दुनिया समाई ।
तुम ही हो तिरंगे की शान,
तुमसे ही है देश का मान,
तुमसे ही है देश का मान….।।
यक्षिता जैन , रतलाम मध्य प्रदेश
Beautiful words