नव वर्ष एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है। विभिन्न सम्प्रदायों के नव वर्ष समारोह भिन्न-भिन्न होते हैं और इसके महत्त्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में परस्पर भिन्नता है।नववर्ष पर कविता बहार की कुछ हाइकु –
नववर्ष पर हाइकु – क्रान्ति

01)
रात गुजरी
नववर्ष आते ही
महका फूल ।
02)
महक उठी
फूलों की फुलवारी
झूमते भौंरे।।
03)
नया तराना
आया है नया साल
झूमे जमाना ।
04)
नदी किनारे
उमड़ती लहरें
मुझे पुकारे ।
05)
रखो उम्मीद
ईश की कृपा से ही
खुले नसीब ।
06)
नया सबेरा
नूतन वर्ष आते
छंटे अंधेरा ।
07)
सुलगे तन
पिया मिलन को
तरसे मन।।
08)
उषा किरण
संग अपने लाया
वर्ष नूतन।
09)
पुराने ख्याल
नव वर्ष के जैसे
बदल डाल ।
10)
मिलते नहीं
नदियों के किनारे
अटल सत्य।।
11)
बहती नदी
चट्टानों को चीरती
पानी की धार ।
क्रान्ति, सीतापुर सरगुजा छग