Send your poems to 9340373299

नन्ही कदमों पर कविता

0 249

नन्ही कदमों पर कविता

नन्ही कदमों से कोसों चले
माँ की आंचल पकड़े -पकड़े !
और कितनी दूर जाना है माँ
कुछ चलकर हो जाते खड़े !!

CLICK & SUPPORT

माँ बोली थोड़ी दूर और ..
बेटा हमको चलना है !
एक बार पहुँच गये तो
फिर वही पर ठहरना है !!
चुभती गर्मी तपती सड़कें
नंगे कदमों पर पड़े हैं छाले !
लंगड़ाते कई बार गिरा
माँ की उंगली बना सहारे !!
कैसी विचित्र खेल है देखों?
थरथर -थरथर पांव कांपे!
निकल पड़े हैं भूखे-प्यासे
नंगे पांव दोनों सड़कें मापें !!
एक लक्ष्य बस घर पहुँचना
पहुंचे बिना नहीं रूकना!
मन में है दृण विश्वास
माँ बेटे जिंदगी से लड़े !!
नन्ही कदमों से कोसों चले
माँ की आंचल पकड़े- पकड़े!
और कितनी दूर जाना है माँ
कुछ चलकर हो जाते खड़े !!

दूजराम साहू
निवास भरदाकला
तहसील खैरागढ़
जिला राजनांदगाँव

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Leave A Reply

Your email address will not be published.