नव्यवर्ष का अभिनंदन
नव्यवर्ष का अभिनंदन
उत्तर प्रत्युत्तर गढ़ने में
बीत गया बाकी जीवन।
किंतु संपुटित हो न सका
विचलित, विह्वल, औघड़ मन।।
इन्हें भी पढ़ें
CLICK & SUPPORT
कल था नूतन, आज पुरातन
विस्मयकारी नवजीवन।
विषय, विषाद, विवाद मुक्त
हो सकल अंकुरित स्पंदन।।
नई चेतना, नवविचार अरु
आत्मबोध, आत्मचिंतन।
आरोहित हों नवपल्लव
हों अवरोहित झूठे दर्पण।।
नवाचार हो, निर्विकार हो
करतल ध्वनि से उद्बोधन।
नव्यवर्ष का अभिनंदन
नव्यवर्ष का अभिनंदन।।