Category: अन्य काव्य शैली

  • शीत ऋतु पर हाइकु – धनेश्वरी देवांगन

    शीत ऋतु पर हाइकु – धनेश्वरी देवांगन

    शीत ऋतु पर हाइकु – धनेश्वरी देवांगन

    हाइकु

             सिंदुरी भोर
         धरा के मांग  सजी
            लागे दुल्हन

            नव रूपसी
         दुब मखमली  सी
           छवि न्यारी  सी 

            कोहरा छाया
        एक पक्ष वक्त  का
          दुखों  का साया

            शीत अपार
        स्वर्णिम रवि रश्मि
           सुख स्वरूप

           ओस के मोती 
         जीवन के  सदृश
             क्षण भंगुर

    धनेश्वरी देवांगन

  • हिंदी पर कविता – मदन सिंह शेखावत

    हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा है। 14 सितम्बर, 1949 के दिन संविधान निर्माताओं ने संविधान के भाषा प्रावधानों को अंगीकार कर हिन्दी को भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में मान्यता दी। संविधान के सत्रहवें भाग के पहले अध्ययन के अनुच्छेद 343 के अन्तर्गत राजभाषा के सम्बन्ध में तीन मुख्य बातें थी-

    संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय रूप होगा ।

    कुण्डलिया

    हिंदी

    हिंदी बोली देश की,बहुत मधुर मन मस्त ।
    इसे सभी अपना रहे , करे विदेशी पस्त।
    करे विदेशी पस्त , राष्ट्र भाषा का दर्जा।
    करे सभी अब काम , उतारे माँ का कर्जा।
    कहे मदन कर जोर,भाल भारत की बिन्दी।
    देवे सब सम्मान , देश में बोले हिन्दी।।

    हिंदी भाषा देश की , सारे जग विख्यात।
    तुलसी सूर कबीर ने , छन्द रचे बहु भात।
    छन्द रचे बहु भात , जगत में नाम कमाये।
    मुख की शोभा जान,सभी को खूब लुभाये।
    कहे मदन समझाय,भाल की लगती बिंदी।
    पाया अब सम्मान , देश की भाषा हिंदी।।

    हिन्दी का आदर करे , करना अब सम्मान।
    सभी कार्य हिंदी करे,खूब बढाये मान।
    खूब बढाये मान ,गर्व भाषा निज करना।
    बढे संस्कृति शान,देश हित हमको मरना।
    कहे मदन कर जोर ,करे अंग्रेजी चिन्दी।
    करना हमें प्रयोग,देश में सब मिल हिन्दी।।

    हिंदी में लिखना हमें , करना है हर काम।
    जन जन की भाषा यही,फैले इसका नाम।
    फैले इसका नाम , सुगम भाषा है प्यारी।
    बनी विश्व पहचान , करे हम कुछ तैयारी।
    कहे मदन सुन मीत, अन्य भाषा हो चिन्दी।
    करना सब उपयोग , सजाये मुख पर हिंदी।।
    मदन सिंह शेखावत ढोढसर स्वरचित

  • सितारे पर कविता – माधुरी मोहिनी

    सितारे पर कविता –  माधुरी मोहिनी

    परियाँ नभ लोक धरा उतरी यह देख अचंभित है जन सारे।
    मुख ओज भरे चमके छड़ियाँ पर शोभित है मणि राज सितारे।।
    कहती सब पूरन कार्य पड़ा सुरधाम चलो शिव है बलिहारे।
    यह संगम का युग शेष अभी पुरुषार्थ करो चलना प्रभु द्वारे।।

    इस जीवन के अब हो तुम ही प्रिय संबल संभव प्राण पियारे।
    हम ढूँढ रहे कल थे जिनको अब ईश कृपा कर दीन्ह हमारे।।
    मति मोद भरा गति शुभ्र हुई अब और न चाह सिवाय तुम्हारे।
    सब माँग मिली दिल आज खिला पथ में चमके रवि चाँद सितारे।।

    तुम साथ रहो शिव साम्ब सदा मनमीत महा महिमा गुण प्यारे।
    प्रणशील रहूँ तुम रक्षक हो चमके तुमसे यह भाग्य सितारे।।
    दिलराज बने जब से अपने मणि नूर प्रभा दमके सुख सारे।
    तुम जीत लिए मन चित्त सभी सुख मान मिला जब से दिल हारे।।

    डॉ माधुरी डड़सेना मुदिता

  • वीणा के हाइकु

    वीणा के हाइकु

    हाइकु

    वीणा के हाइकु

    1-
    कृष्णमुरारी
    बालभद्र,सुभद्रा
    रथ सवारी।
    2-
    हरितालिका
    पति की लम्बी आयु
    पत्नी निर्जला।
    3-
    स्वयं विश्वास
    मिलेगी सफलता
    मंजिल पास।
    4-
    लाल गुब्बारा
    बालक खेल रहा
    बम धमाका।
    5-
    मणिकर्णिका
    अंतरिक्ष पे बैठी
    हिन्द की नारी।
              *
    सविता बरई “वीणा”
    सीतापुर, सरगुजा,(छ.ग.)

  • सुधा राठौर जी के हाइकु

    सुधा राठौर जी के हाइकु

    हाइकु

    सुधा राठौर जी के हाइकु

    छलक गया
    पूरबी के हाथों से
    कनक घट

    बहने लगीं
    सुनहरी रश्मियाँ
    विहान-पथ

    चुग रहे हैं
    हवाओं के पखेरू
    धूप की उष्मा

    झूलने लगीं
    शाख़ों के झूलों पर
    स्वर्ण किरणें

    नभ में गूँजे
    पखेरुओं के स्वर
    प्रभात गान


    सुधा राठौर