Category: अन्य काव्य शैली

  • एक पड़ोसन पीछे लागी – उपमेंद्र सक्सेना

    एक पड़ोसन पीछे लागी


    आज लला की महतारी कौ, अपुने मन की बात बतइहौं
    एक पड़ोसन पीछे लागी, बाकौ अपुने घरि लै अइहौं।

    बाके मारे पियन लगो मैं, नाय पियौं तौ रहो न जाबै
    चैन मिलैगो जबहिं हमैं तौ, सौतन जब सबहई कौ भाबै
    बाके एक लली है ताको, बाप हमहिं कौ आज बताबै
    केतो अच्छो लगै हियाँ जब, लला-लली बा खूब खिलाबै

    सींग कटाए बछिया लागै, ताकी हाँ मैं खूब मिलइहौं
    एक पड़ोसन पीछे लागी, बाकौ अपुने घरि लै अइहौं।

    बा एती अच्छी लागत है, पीछे मुड़ि- मुड़ि कै सब देखैं
    बहुतेरे अब लोग गली के, हाथ- पैर हैं अपुने फेंकैं
    हम जैसे तौ रूप देखिके, बाके आगे माथो टेकैं
    अच्छे-अच्छे लोग हियाँ के, उसै ध्यान से कभी न छेकैं

    काम बिगारै कोई हमरो, बाके घरि मैं आग लगइहौं
    एक पड़ोसन पीछे लागी,बाकौ अपुने घरि लै अइहौं।

    बाकौ खसम लगत है भौंदू, नाय कछू बाके लै लाबै
    हट्टन -कट्टन कौ बा ताकै, मन – मन भाबै मुड़ी हिलाबै
    बनै लुगाई आज हमारी, बहुतन के दिल खूब जलाबै
    खसम जु बोलै बाको हमसे, गारी दैके दूरि भगाबै

    कछू न होय कमी अब घरि मै, जनम- जनम को साथ निभइहौं
    एक पड़ोसन पीछे लागी, बाकौ अपुने घरि लै अइहौं।

    रचनाकार -✍️उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट
    ‘कुमुद -निवास’
    बरेली (उ.प्र.)

  • मित्र और मित्रता पर कविता – बाबूराम सिंह

    मित्र और मित्रता पर कविता

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    हो दया धर्म जब मित्र में,सुमित्र उसको मानिए।
    ना मैल हो मन में कभी, कर्मों को नित छानिए।
    आदर सेवा दे मित्र को,प्यार भी दिल से करो।
    दुखडा उस पर कभी पड़े, दुःख जाकर के हरो।
    मित्रों से नाता कभी भी ,भूल कर तोड़ों नहीं।
    पथ बिचमें निज स्वार्थवश,ज्ञातरख छोड़ी नहीं।

    भाव रख उत्तम हमेशा , साथ चलना चाहिए।
    दीजीये सुख शान्ति उसे,आप भी सुख पाइए।
    कभी भूल मित्र से होजा ,उछाले ना फेकना।
    सुदामा कृष्ण मित्रता का, नमूना भी देखना।
    दे जुबान अपने मित्र को,पिछे कभी न डोलिए।
    मन खुशरख उसका सदा,सुमधुर वचन बोलिए।

    करना सहायता मित्र की ,हर बात मन से सुनो।
    अहम वहम सब छोड दो,मोड़ जीवन पथ चुनो।
    शुचि मित्र से महके जीवन,यह कभी भूलो नहीं।
    निज मान और सम्मान में,फँस नहीं फूलो कहीं।
    निज वचन बुद्धि विचारमें,नहीं तम गम हम घुसे।
    करो मित्र का कल्याण सदा,सुकर्म में जोड़ उसे।

    ना कर्म पथ छूटे कभी,जगत में जबतक रहो।
    विष पी अधर मुस्का सदा ,मित्र संग में सब सहो।
    मित्र भाव भव्य लगाव को ,कदापि न ठुकराइए।
    श्रध्दा प्रेम विश्वास आश , नित नूतन जगाइए।
    जग जीत चाहे हार हो , सार में कायम रहे।
    मिशाल मित्रों का अनूठा , है सदा सबही कहे।

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    बाबूराम सिंह कवि
    बडका खुटहाँ, विजयीपुर
    गोपालगंज (बिहार )841508
    मो॰ नं॰ – 9572105032
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  • मानवता पर ग़ज़ल – बाबूराम सिंह

    मानवता पर ग़ज़ल

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    तपस्या तपमें गल कर देखो।
    सत्य धर्म पर चल कर देखो।।

    प्रभु भक्ति शुभ नेकी दान में,
    अपना रूख बदलकर देखो।

    दीन-दुखीअबला-अनाथ की,
    पीड़ा बीच पिघल  कर  देखो।

    सेवा समर्पण  शुभ  कर्मों  में,
    शुचि संगत में ढ़ल कर देखो।

    त्याग  संतोष होश रखो जग,
    सचमें सदा मचल कर देखो।

    करूणा  दया  हया  मध्य रह,
    पग-पग नित संभलकर देखो।

    क्या करनाथा क्या कर डाला,
    अपना करखुद मलकर देखो।

    कपट  दम्भ  पाखंड -पाप से,
    पल-पल प्यारे टल कर देखो।

    बर्बादी   तज  बाबूराम  कवि,
    सभी प्रश्नों का हल कर देखो।

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    बाबूराम सिंह कवि,गोपालगंज,बिहार
       मोबाइल नम्बर- 9572105032
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  • नारी की सुन्दरता पर कविता – बाबूलाल शर्मा

    नारी की सुन्दरता पर कविता

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    नीति नियामक हाय विधायक,
    भाग्य कठोर लिखे हित नारी।
    सत्य सदा दिन रात करे श्रम,
    वारि भरे घट ले पनिहारी।
    पंथ चले पद त्राण नहीं पग,
    कंटक कष्ट हुई पथ हारी।
    ‘विज्ञ’ निहार अचंभित मानस,
    सुंदर नारि कि सुंदर सारी।
    . ….👀🌹👀….
    केश खुले घन कृष्ण घटा सम,
    ले घट हाथ टिका कटि धारे।
    गौर शरीर लगे अति कोमल,
    नैन झुके पर हैं कजरारे।
    कंगन हाथ सजे शुभ सुंदर,
    वस्त्र सुशोभित हैं रतनारे।
    कंटक पंथ लगे तिय शापित,
    ‘विज्ञ’ विवेक लिखे हिय हारे।
    . …👀🌹👀….
    ✍©
    बाबू लाल शर्मा,बौहरा, विज्ञ
    सिकन्दरा, दौसा, राजस्थान
    👀👀👀👀👀👀👀👀👀

  • तन की माया पर कविता – बाबूराम सिंह

    गजल

    तन की माया पर कविता

    तनआदमी का जग मेंअनमोल रतन है।
    बन जायेअति उत्तम बिगड़ा तो पतन है।

    सौभाग्य से है पाया जाने कब मिले,
    नर योनी में हीं कटता आवागमन है।

    सेवा, तपस्या ,त्याग मध्य ही राग अनुपम,
    शुभ गुणआचरणको जगत करता नमन है।

    सच्चाई अच्छाई से सुफल इसे बना लो,
    आखिर साथ जाता सिर्फ तनपै कफन है।

    सुख श्रोत सभी से सत्य मीठा वचन बोल,
    विष त्याग कवि बाबूराम झूठा वचन है।

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    बाबूराम सिंह कवि,गोपालगंज,बिहार
    मोबाइल नम्बर-9572105932
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