एक पड़ोसन पीछे लागी – उपमेंद्र सक्सेना

एक पड़ोसन पीछे लागी आज लला की महतारी कौ, अपुने मन की बात बतइहौं एक पड़ोसन पीछे लागी, बाकौ अपुने घरि लै अइहौं। बाके मारे पियन लगो मैं, नाय पियौं तौ रहो न जाबै चैन मिलैगो जबहिं हमैं तौ, सौतन जब सबहई कौ भाबै बाके एक लली है ताको, बाप हमहिं कौ आज बताबैकेतो अच्छो … Read more

मित्र और मित्रता पर कविता – बाबूराम सिंह

मित्र और मित्रता पर कविता हो दया धर्म जब मित्र में,सुमित्र उसको मानिए।ना मैल हो मन में कभी, कर्मों को नित छानिए।आदर सेवा दे मित्र को,प्यार भी दिल से करो।दुखडा उस पर कभी पड़े, दुःख जाकर के हरो।मित्रों से नाता कभी भी ,भूल कर तोड़ों नहीं। पथ बिचमें निज स्वार्थवश,ज्ञातरख छोड़ी नहीं। भाव रख उत्तम … Read more

मानवता पर ग़ज़ल – बाबूराम सिंह

मानवता पर ग़ज़ल तपस्या तपमें गल कर देखो।सत्य धर्म पर चल कर देखो।। प्रभु भक्ति शुभ नेकी दान में,अपना रूख बदलकर देखो। दीन-दुखीअबला-अनाथ की,पीड़ा बीच पिघल  कर  देखो। सेवा समर्पण  शुभ  कर्मों  में,शुचि संगत में ढ़ल कर देखो। त्याग  संतोष होश रखो जग,सचमें सदा मचल कर देखो। करूणा  दया  हया  मध्य रह,पग-पग नित संभलकर देखो। … Read more

नारी की सुन्दरता पर कविता – बाबूलाल शर्मा

नारी की सुन्दरता पर कविता नीति नियामक हाय विधायक,भाग्य कठोर लिखे हित नारी।सत्य सदा दिन रात करे श्रम,वारि भरे घट ले पनिहारी।पंथ चले पद त्राण नहीं पग,कंटक कष्ट हुई पथ हारी।‘विज्ञ’ निहार अचंभित मानस,सुंदर नारि कि सुंदर सारी।. ….👀🌹👀….केश खुले घन कृष्ण घटा सम,ले घट हाथ टिका कटि धारे।गौर शरीर लगे अति कोमल,नैन झुके पर … Read more

तन की माया पर कविता – बाबूराम सिंह

गजल तन की माया पर कविता तनआदमी का जग मेंअनमोल रतन है। बन जायेअति उत्तम बिगड़ा तो पतन है। सौभाग्य से है पाया जाने कब मिले,नर योनी में हीं कटता आवागमन है। सेवा, तपस्या ,त्याग मध्य ही राग अनुपम,शुभ गुणआचरणको जगत करता नमन है। सच्चाई अच्छाई से सुफल इसे बना लो,आखिर साथ जाता सिर्फ तनपै … Read more