पचदिनिया देवारी तिहार- पद्मा साहू
आगे जगमग-जगमग पचदिनिया, देवारी तिहार।
लीपे पोते सुग्घर दिखत हावे, जगमग घर दुवार।
धनतेरस के खरीदी भारी, सोना,चांँदी,बर्तन भाड़ा,
नवा-नवा कपड़ा लत्ता लेवत, मन भरे उद्गार।
करसा दीयना लेवे, अउ लेवे फटाका सुरसुरी ,
दाई बहिनी लेवत हावे, चूड़ी फुंदरी पुछत मनिहार।
पाँचे दिन के देवारी, कातिक महीना के भईया,
अंतस मा लाथे प्रेम भाईचारा, खुशियाँ अपार।
आगे जगमग,,,,,,,,,,
नरक चउदस यमदेव बर, अँगना मा चंउक पुराबो,
दूर हो जाहि अकाल काल, यमदूत के जम्मो बिचार।
घरो घर लछमी दाई के आरती, अउ होही दीपदान,
जगमगावत दीया चारों कोती, मिट जाही अंधियार ।
कार्तिक मावस के, कुलूप अंधियारी रात मा,
पाँव परत लछमी दाई के, हो जही उजियार।
आगे जगमग,,,,,,,,,,,,,
गौरा-गौरी के कलशा निकलही, होत पहाती गली में,
रिगबिग-रिगबिग बरही दीया, मन के हरत अंधियार।
गिरधर भोग लगा, गाय गरुवा ल खिचड़ी खवाबो,
ठाकुर घर जोहारत, राउत भईया मन करही जोहार।
गऊ माता ल सोहई बांध, कोठी डोली भरे देही आशीष,
राउत मन काछन घोंडत,पारही आनीबानी दोहा गोहार।
आगे जगमग,,,,,,,,,,,,,
गौठाने मा कुम्हड़ा ढूला, होगी अखाड़ा मतराही,
किसम-किसम फटाका जला,मनाबो देवारी तिहार।
लईका सियान सब, नवा-नवा कुर्ता पहीने,
धूमधड़ाक जलाही सब, फुलझड़ी, बम,अनार।
यम-यमुना भाई बहिनी के, तिहार भाई दूज,
एक दूसर के रक्षा करे, देही वचन अउ उपहार।
आगे जगमग-जगमग, पचदिनिया देवारी तिहार।
लीपे पोते सुग्घर दिखत हावे, जगमग घर दुवार।
पद्मा साहू “पर्वणी”
खैरागढ़ राजनांदगांव छत्तीसगढ़
बहुत बहुत आभार दूज जी
ठाकुर घर जो भारत👍