राष्ट्र भाषा पर छंद- बाबूराम सिंह

राष्ट्र भाषा पर छंद सुखद हिन्द महान बनाइए।मधुर बोल सदैव अपनाइए।प्रगति कारक भारत हो तभी।सरस काम करें अपना सभी। अजब ज्ञान भरें शुभदा लिए।सहज भावभरोस भव्य किए।गुण सभी इसमें जग आगरी।लखअमोलक है लिपि नागरी। महक मानवतामय है सिखो।मन लगाकर जागउठी लिखो।सँवर जाय तभी जग जानिये।बढ़ उठे शुचि भारत मानिये। जगत हिंद सु-बोल जगाइए।सरलता शुभ है … Read more

शिक्षा ज्ञान का दीपक है कविता -बाबूराम सिंह

शिक्षा ज्ञान का दीपक है कविता सौभाग्यसे मिलाहै नरतन इसे सुफल बनाओ।शिक्षा ज्ञान का दीपकहै सरस सदा अपनाओ।। बिनविद्या नर पशु समहै कहती दुनियां सारीछाया रहता जीवन है में चहुँदिश अँधियारी।ज्ञान ध्यान भगवान बिना माया रहती है घेरे-सबकुछ होता ज्ञान बिना मति जाति है मारी। अतः ज्ञानालोक हेतु शिक्षा को सेतु बनाओ।शिक्षा ज्ञान का दीपक … Read more

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती पर कविता दिखा गए जो मार्ग यहाँ वे, उसको सब अपनाएँदीनदयाल उपाध्याय जी को हम भुला न पाएँ। सन् उन्निस सौ सोलह में पच्चीस सितंबर आईनगला चंद्रभान मथुरा में, खुशियाँ गईं मनाईपिता भगवती प्रसाद जी माता बनीं राम प्यारीउठा पिता का साया फिर थी, संघर्षों की बारी वे मेधावी … Read more

माँ दुर्गा पर कविता -बाबूराम सिंह

jai durga maa

दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवी, शक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। माँ दुर्गा पर कविता -बाबुराम सिंह नित चरणों में रहे श्रध्दाभाव वर दो भक्ति अनन्य हो। मातेश्वरी तूं धन्य हो।।अज-जग में … Read more

बेटी पर कविता – सुशी सक्सेना

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बेटी पर कविता – सुशी सक्सेना मेरी बिटिया, मेरे घर की शान है।मेरे जीने का मकसद, मेरी जान है। पता ही न चला, कब बड़ी हो गई,मेरी बिटिया अपने पैरों पे खड़ी हो गई,मेरे लिए अब भी वो एक नन्हीं कली है,मेरे अंगना कि एक चिड़िया नादान है। या रब, हर बुरी नजर से उसे … Read more