अनजान लोग – नरेंद्र कुमार कुलमित्र

अनजान लोग कितने अच्छे होते हैं अनजान लोगउनको हमसे कोई अपेक्षा नहीं होतीहमें भी उनसे कोई अपेक्षा नहीं होती हम गलत करते हैंकि अनजानों से हमेशा डरे डरे रहते हैंहर बार अनजान लोग गलत नहीं होतेफिर भी प्रायः अनजानो से…

तेरी यादों का सामान – सुशी सक्सेनास

तेरी यादों का सामान तेरी यादों का सामान अभी भी पड़ा है मेरे पासजो दिलाता है तेरे करीब होने का अहसास।कुछ मुस्कुराहटें जो दिल में घर कर गई, और कुछ चाहतें जो मुझे पागल कर गई। तुझसे जुड़े हुए कुछ…

doha sangrah

गुरु पूर्णिमा पर दोहे -बाबू लाल शर्मा बौहरा विज्ञ

महर्षि वेद व्यासजी का जन्म आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को ही हुआ था, इसलिए भारत के सब लोग इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। जैसे ज्ञान सागर के रचयिता व्यास जी जैसे विद्वान् और ज्ञानी कहाँ मिलते…

सावन का चल रहा महीना – उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट

सावन का चल रहा महीना सपने अब साकार हो रहे, जो थे कब से मन में पालेसावन का चल रहा महीना, देखो सबने झूले डाले।पत्थर पर जब घिसा हिना को, फिर हाथों पर उसे लगायानिखरी सुंदरता इससे तब, रंग यहाँ…

आहट पर कविता – विनोद सिल्ला

आहट पर कविता सिंहासन खतरे मेंहो ना होसिंह डरता है हर आहट से आहट भीप्रतीत होती है जलजलाप्रतीत होती है उसे खतरावह लगा देता हैऐड़ी-चोटी का जोरकरता है हर संभव प्रयासआहटों को रोकने का अंदर से डरा हुआताकतवर हो कर…