मुफ्त की चीज पर कविता

मुफ्त की चीज पर कविता मुफ्त की चीजों से..19.03.22———————————————हमारी आदत सी हो गई हैकि हमें सब कुछ मुफ्त में चाहिएभिखारियों की तरह हम मांगते ही रहते हैंराशन पानी बिजली कपड़ा मकान रोजगार मोबाइल और मुफ्त का वाईफाई कनेक्शन मुफ्त की…

मेला पर बाल कविता

मेला पर बाल कविता कविता 1 काले बादल, काले बादल। मत पानी बरसाओ बादल ॥ मुझे देखने मेला जाना । यहाँ नहीं पानी बरसाना। मेले से जब घर आ जाऊँ। तुमको सारा हाल सुनाऊँ। तब चुपके से गाँव में आता।…

हाथी पर बाल कविता

हाथी पर बाल कविता हाथी पर कविता 1 हाथी आया झूम के,धरती माँ को चूम के। टाँगे इसकी मोटी हैं,आँखें इसकी छोटी हैं। गन्ने पत्ती खाता है,लंबी सूँड़ हिलाता है। सूपा जैसे इसके कान,देखो-देखो इसकी शान ॥ हाथी पर कविता…

नन्हे मुन्ने सैनिक हम

नन्हे मुन्ने सैनिक हम पी-पी पी-पी डर-डर-डम,नन्हे मुन्ने सैनिक हम।छोटी-सी है फौज हमारी,पर उसमें है ताकत भारी।बड़ी-बड़ी फौजें झुक जाती,जब ये अपना जोर दिखाती।पी-पी पी-पी डर-डर-डम,नन्हे-मुन्ने सैनिक हम। Post Views: 71

mother their kids

मां पर बाल कविता

मां पर बाल कविता अम्माँ करती कितना काम।चाहे सुबह हो चाहे शाम ॥कुछ न कुछ करती ही रहती।सारे घर का बोझा सहती ॥नहीं उसे मिलता आराम।अम्माँ करती कितना काम ॥हम भी थाड़ा काम करेंगे।अम्मा जी की मदद करेंगे।तब होंगे सब…