पितृ पक्ष पर कविता 2021 -राजेश पान्डेय वत्स (मनहरण घनाक्षरी)
हम यहाँ पर आपको पितृ पक्ष पर कविता प्रस्तुत कर रहे हैं आशा है आपको यह पसंद आएगी .
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पितृ पक्ष पर कविता-राजेश पान्डेय वत्स (मनहरण घनाक्षरी)
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झिलमिल उजियारी,समीप शरद ऋतु,
मणि जैसे ओस पड़े,
बिछे हुये घास में!
तेज चले चुस्त लोग, कुछ दिखे लगा योग,
अम्बर की ओर ताके,
सूरज की आस में!
धीमे धीमे वृताकार, लाल रंग लिये हुये,
खिली कली खुश मन,
फूलों के सुवास में!
दिनकर देख नैन, शुभ भोर गई रैन,
वत्स गा ले राम गान,
पितृ पक्ष मास में!
–राजेश पान्डेय वत्स!