प्राणों से प्रिय स्वतंत्रता….
शहीदों के त्याग,तप की अमरता
हमें प्राणों से प्रिय है स्वतंत्रता!
धमकी से ना हथियारों से,
हमलों से अत्याचारों से,
न डरेंगे,न झुकेंगे राणा की संतान हैं
विजयी विश्व तिरंगा हमारी,
आन, बान, शान हैं!
अगणित बलिदानों से,
अर्जित है स्वतंत्रता
हमें प्राणों से…….
नफरतों की आग से,फूंकते रहो बस्तियां,
अफवाहों से,भय से बढ़ाते रहो दूरियां,
गीता,कुरान संग पढ़ेंगे,
मंदिर-मस्जिद दिलों में रहेंगे,
सीने पर जुल्म की,
चलाते रहो बर्छियां,
अश्रु,स्वेद रक्त सिंचित स्वतंत्रता,
हमें प्राणों से……
पैगाम अमन के देती रहूंगी,
हर रोज संकल्प ये लेती रहूंगी,
लहू से गीत आजादी के,
वन्देमातरम लिखती रहूंगी,
किसी कीमत पर स्वीकार नहीं परतंत्रता,
हमें प्राणों से प्रिय है स्वतंत्रता….
——डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’
अम्बिकापुर, सरगुजा(छ. ग.)