पुष्पा शर्मा की गीतिका – पुष्पा शर्मा

पुष्पा शर्मा की गीतिका – पुष्पा शर्मा

HINDI KAVITA || हिंदी कविता
HINDI KAVITA || हिंदी कविता

नज़र अंदाज़ करते हैं गरीबी को सभी अब तो।
भुलाकर के दया ममता सधा स्वारथ रहे अब तो।

अहं में फूल कर चलता कभी नीचे नहीं देखा,
मिले जब सीख दुनियाँ में लगे ठोकर कभी अब तो।

बदल देता नज़ारा है सुई जब वक्त की घूमे,
भले कितना करें अफ़सोस समय लौटे नहीं अब तो।

गुज़ारा कर गरीबी में समझता पीर दुखियों की।
लगा कर के गले उनको दिखाता विकलता अब तो। 

सदा जीवन नहीं रहता लगो कुछ नेक कामों में,
भरोसा कब कहाँ रहता मिटे पल में निशां अब तो।

पुष्पा शर्मा “कुसुम”

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