प्यार करते हो उनको बता दीजिए
प्यार करते हो उनको बता दीजिए ।
आग है इक तरफ तो बुझा दीजिए ।।
उनके खत पढ़के खामोश रहते क्यो ।
खुद को इतनी बड़ी मत सजा दीजिए ।।
फैसला खुद का खुद से करना नही ।
गेंद पाले में उनके गिरा दीजिए ।।
इश्क के इस तराजू में तौला हमें ।
प्यार कैसे पड़ा कम बता दीजिए ।।
इस शह़र ही रहते शायद कहीं ।
हो सके आज उनसे मिला दीजिए ।।
आज दिल ये हुआ जाने बैचेन क्यो ।
नूर साथी को इक पल दिखा दीजिए ।।
कवि बृजमोहन श्रीवास्तव “साथी”डबरा
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