रक्षाबन्धन पर दोहे

१.🌼
रिश्तों का अनुबन्ध शुभ, रक्षा बन्धन पर्व।
सनातनी शुभ रीतियाँ, उत्तम संस्कृति गर्व।।
२.🌼
पूनम सावन मास में, राखी का त्योहार।
भाई का रक्षा वचन, हर्षे बहिन अपार।।
३.🌼
विष्णु पत्नि लक्ष्मी शुभे, वे नारद मुनि रंग ।
बलि को राखी भेजकर, लाई हरि हर संग।।
४.🌼
रीति सनातन काल से, बंधु बहिन का प्यार।
सांसारिक शुभ रीति यह, परिवारी व्यवहार।।
५.🌼
भक्त श्रवण को पूजते, मान्य गेह प्रतिहार।
रक्षा बन्धन कर करे, पूजा मय मनुहार।।
६.🌼
कर्मवती मेवाड़ हित, भेजी राखी डोर।
लाज हुमायू कब रखी, चुभती बात कठोर।।
७.🌼
संग मने संस्कृत दिवस, राखी के दिनवार।
पावन भादौ मास में , त्योहारी मनुहार।।
८.🌼
खेत भरे मक्का हँसे, घर परिजन परिवार।
पावस ऋतु मनमौज है, राखी का त्योहार।।
९.🌼
बहन कहे अब रीति नव, सुन बीरा तू बात।
पहली राखी देश हित, सैनिक तरुवर तात।।
१०.🌼
भाई जब राखी बँधे , ढाई टप्पा बात।
नवयुगीन नवरीतियाँ, प्राकृतहित सौगात।।
११.🌼
कृषक और मजदूर को, दें राखी सौगात।
पकवानों की मौज हो, राखी संगत बात।।
१२.🌼
राखी डोर तिरंग शुभ, भारत माँ के चित्र।
उन देशों में भेज दें , जो भारत के मित्र।।
१३.🌼.
राखी यमुना गंग की, सागर नर समुदाय।
चन्द्र सूर्य अंबर धरा, प्राकृत पानी गाय।।
१४.🌼
राखी जननी तात की, बहिन भुवाएँ भ्रात।
प्रीति रीतियाँ डोर शुभ, सनातनी सौगात।।
१५.🌼
पशुधन धरा किसानहित, दीन हीन बीमार।
बटुक फकीरा सन्त सब, राखी पर सत्कार।।
१६. 🌼
मानवता हित देश से , जिसको सच्ची प्रीत।
राखी बंधन कर उसे , मानो निज मनमीत।।
१७.🌼
राखी बंधन प्रीत का, पावन सत्य प्रतीक।
रखिए तो राखी भली, नहीं रखे तो ठीक।।
१८.🌼
देश और परदेश में, हिन्दुस्तान रिवाज।
जग में राखी भेज दो, प्रीत रीत परवाज।।
१९. 🌼
सुनो सभी से अर्ज है, साँझ सवेरे भोर।
देश सुरक्षा हित सभी, बाँधो रक्षा डोर।।
२०. 🌼
जड़ चेतन मय जीवजग, मानवीय हित मित्र।
राखी के हकदार सब, आन मान शुभ चित्र।।
२१. 🌼
नित्य यहाँ त्योहार हो, सतत मंगलाचार।
प्रेम प्रीति सद्भावना, राखी भव व्यवहार।।
२२.🌼
राखी की बातें अमित, कही सुनी हो माफ।
शर्मा बाबू लाल का, मन कहता सच साफ।।
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✍©
बाबूलाल शर्मा, बौहरा, विज्ञ
सिकन्दरा, दौसा,
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