रामनिवास बने अतिसुंदर

राम/श्रीराम/श्रीरामचन्द्ररामायण के अनुसार,रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मणभरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग किया।

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रामनिवास बने अतिसुंदर

राम का राज आएगा फिर से कि,
धीरज धार बनाए चलो सब।
स्वप्न अधूरा होगा नहीं बाँधव,
नींव डलेगी अवधपुर में अब।

गाँव जगा है समाज जगा है,
जगा है जहाँ सकल जग सारा।
राम निवास बनायेंगे मिलकर हम,
पुनित यह सौभाग्य हमारा।

गिद्धराज जटायु को तारे
बेर जूठे शबरी के खाए।
लाज रखे मिताई की प्रभु ने
सुग्रीव को है राज दिलाए।

बन गिलहरी सब कर्म करेंगे,
सेवक भक्त हनुमान दुलारे।
रहे सदा निज धाम सदा जो,
राम लखन के पुर रखवारे।

चौदह बरस बनवास खटे हैं,
मर्यादा का ज्ञान है बाँटे।
कंकड़ पत्थर राह चले नित,
फिक्र नहीं किये चुभते काँटे।

आज मिला है ठाँव प्रभु को,
धन्य मनाएँ देश के वासी।
मानों लगता सारा चमन ये,
हर घर मथुरा हर घर काशी।

नल नील बनकर तोषण दिनकर,
नींव की ईंट चढ़ाने लगे हैं।
जय रघुनंदन जय दुखभंजन,
राम सियावर गाने लगे है।

आओ संतो मिलकर हम सब,
एक एक ईंट उठाते चलेंगे।
रामनिवास बने अतिसुंदर,
एक एक पग बढाते चलेंगे।

कृति
तोषण कुमार चुरेन्द्र ‘दिनकर’

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