समय सतत चलता है साथी

गीत(१६,१६)

कठिन काल करनी कविताई!
कविता संगत प्रीत मिताई!!

समय सतत चलता है साथी,
समय कहे मन त्याग ढ़िठाई।
वक्त सगा नहीं रहा किसी का,
वन वन भटके थे रघुराई।
फुरसत के क्षण ढूँढ करें हम
कविता संगत प्रीत मिताई।

समय चक्र है ईष्ट सत्यता,
वक्त सिकंदर,वक्त कल्पना।
वक्त धार संग बहना साथी,
मत देखे मन झूठा सपना।
कठिन कर्म,पर्वत कर राई।
कविता संगत प्रीत मिताई।

समय देश सुविकास करेगा,
मातृभाष सम्मान करें जब।
हिन्द हितैषी सृजन साधना,
मन में मीत हमारे हो तब।
समय मिले मान तरुणाई,
कविता संगत प्रीत मिताई।

वक्त मिले तो सीख व्याकरण,
भाषा सुन्दर हो जाएगी।
छंद मुक्त अरु छंदबद्ध सब
कविता प्यारी बन गाएगी।
समय मिले तब बैण सगाई।
कविता संगत प्रीत मिताई।

समय नाव ही डुबा तराए,
वक्त नदी है समय समंदर।
वक्त बने तो क्या से क्या हो,
मानव बना, क्रमिक था बंदर।
समय संग तो सोचो भाई,
कविता संगत प्रीत मिताई।

वक्त क्षमा कब करे किसी को,
कृष्ण,पाण्डवों से बलशाली।
वक्त मार से हुए सुदामा,
हमने जानी सब बदहाली।
फुरसत मरे मिलेगी भाई,
कविता संगत प्रीत मिताई।
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बाबू लाल शर्मा “बौहरा”

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