कविता प्रकाशित कराएँ

सुरों की मल्लिका लता जी- जगदीश कौर

कविता संग्रह
कविता संग्रह

कहाँ गई वो सुरों की मल्लिका
कहाँ गई वो मधुर सी कोकिला
जिसके सुरों के जादू से सारा
हिंदूस्तां था फूलों सा खिला।

छेड़ती थी जब सुरों की तान
मंद -मुग्ध हो जाता हिन्दूस्तान
तेरे गुनगुनाएं गीतों से
ऊर्जा से भरता नौजवान।।

बस गई थी सभी के दिलों में
भारत की यह लाडली बेटी
तेरे गीतों को गा -गाकर
चलती थी कितनों की रोटी।।

जाते जाते न कोई संदेश
न पैगाम तेरा कोईं आया
खफा तो नही थी हमसे तुम
कोईं गीत भी न गुनगुनाया।।

तेरी जगह न कोईं ले पाया
न ही कोईं ले पाएगा
गाये गी जब गीत कोकिला
तेरा ही जिक्र जुबां मे आएगा।।

जगदीश कौर
प्रयागराज इलाहाबाद

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *