Tag: 21 मार्च विश्व कविता दिवस पर हिंदी कविता

21 मार्च विश्व कविता दिवस

  • कवि का धर्म निभाना – बाबू लाल शर्मा

    विश्व कविता दिवस (अंग्रेजी: World Poetry Day) प्रतिवर्ष २१ मार्च[1] को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999[2] में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए था।

    21 मार्च विश्व कविता दिवस 21 March World Poetry Day
    21 मार्च विश्व कविता दिवस 21 March World Poetry Day

    कवि का धर्म निभाना है


    . ककुभ छंद
    . (१६,१४…… चरणांत.२२)

    नव उम्मीदें,नया आसमां,
    यही विकासी सपना है।
    जागृत हुआ गौर से देखा,
    सारा भारत अपना है।


    साहित्यिक सेवा भी करनी ,
    सत्य विरासत होती है।
    नव उम्मीद..रूपमाला के,
    हम तुम सच्चे मोती हैं।

    हर मोती की कीमत होती,
    सच ही यह सच्चाई है।
    सब मिल जाते माला बनती,
    अच्छी यह अच्छाई है।

    बनकर अच्छे मीत प्रलेखूँ
    सुन्दर माला का मोती।
    जन गण मन की पीर लिखूँ जो,
    भारत माता को होती।

    नव उम्मीदें,नया आसमां,
    तब नव आयाम रचेंगे।
    काव्य कलम मुखरित हो जाए,
    फिर नव साहित्य सजेंगे।।

    नव उम्मीदें, नया आसमां,
    सुधिजन रचनाकारों का।
    सबके सब मिलके कर देंगे,
    युग को नव आकारों का।

    चाहे जितनी बाधा आए,
    कवि का धर्म निभाना है।
    नई सोच से नव उम्मीदें,
    नव पथ भी दिखलाना है।

    मुक्त परिंदे बन के हम तो,
    नित फिर आसमान नापें।
    नव उम्मीद भरेंगें मिलकर,
    बाधाओं से क्या काँपें।

    निज नीड़ों को क्यों भूलें हम,
    भारत की संस्कृतियों को।
    पश्चिम की आँधी को रोकें
    मिलकर सब विकृतियों को।

    हिन्दी के हित नव उम्मीदें,
    देश,धरा मानवता की।
    नया आसमां हम विचरेंगे,
    कविता गाने सविता की।।

    बाबू लाल शर्मा “बौहरा” विज्ञ

  • विश्व कविता दिवस – बाबू लाल शर्मा

    विश्व कविता दिवस (अंग्रेजी: World Poetry Day) प्रतिवर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए था।

    21 मार्च विश्व कविता दिवस 21 March World Poetry Day
    21 मार्च विश्व कविता दिवस 21 March World Poetry Day

    कलम चले कालचक्र सी



    . (१६मात्रिक)
    कलम चले यह कालचक्र सी,
    लिखती नई इबारत सारी।
    इतिहासों को कब भूलें है,
    लिखना देव इबादत जारी।

    घड़ी सुई या चलित लेखनी,
    पहिया कालचक्र अविनाशी।
    चलते लिखते घूम घूम कर,
    वर्तमान- आगे – इतिहासी।

    मिटते नहीं कलम के लेखे,
    जैसे विधना लेख अटल है।
    हम तो बस कठपुतली जैसे,
    नाचे नश्वर जगत पटल है।

    शक्ति लेखनी जग पहचाने,
    क्रांति कथानक,सत्ताधारी।
    गोली , तोप, तीर , तलवारे,
    बारूदी सत्ता से भारी।

    कलमकार सिर कलम हुए है,
    जब जब सत्ताधीशों से।
    नई क्रांति से कलम मिलाती,
    कुचली सत्ता नर शीशो से।

    कूँची कलमशक्ति हथिया के,
    नई व्यवस्था सत्ता करती।
    कलमवीर सिरकलमी न हो,
    ऐसी सोच व्यवस्था करती।

    कलम रचाती क्रांति नवेली
    नवाचार हर क्षेत्र करेगी।
    पौधे कलम नस्ल बीजों से,
    हरित क्रांति कर खेत बरेगी।

    सत्य छाँटती, सतत लेखनी,
    ज्यों दर्पण को कलम काटती।
    सामाजिक सद्भाव पिरो कर,
    ऊँच नीच मतभेद पाटती।
    ……
    कलम अजर है कलम अमर है
    कलम विजय है सर्व समर में।
    कलमकार तन वस्त्र बदलते,
    कलम बचे जग ढहे सगर में।

    वेदों से ले संविधान तक,
    रामायण ईसा कुरान तक।
    कलम कालगति चलते रहती,
    सृष्टिसृजन से प्रलयगान तक।
    … ……..

    बाबू लाल शर्मा

  • विश्व कविता दिवस पर कविता – मनीभाई नवरत्न

    विश्व कविता दिवस (अंग्रेजी: World Poetry Day) प्रतिवर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए था।

    अभी और लिखने हैं – मनीभाई नवरत्न

    अभी और लिखने हैं इतिहास के पन्नों में ।
    कुछ क्रांति ,कुछ शांति के शब्द।
    अभी और होगा एलान ए जंग ।
    तब धरा होगी शांत और स्तब्ध ।

    अभी चिंगारी फूटने को है मस्तिष्क में
    प्रवाह बड़ेगा अभी नैन अश्क में
    तब तो होगा रात्रि से दिवस आगमन
    गूंजेगी तभी सतयुग के शब्द ।

    गुलामी की जंजीर टूट चुकी
    पर लोग अभी भी हैं हवालात में ।
    वे पहले से और असहाय लग रहे हैं
    वे बंध चुके राजनीति के करामात में ।
    लिखते-लिखते लेखनी भी हो रही है छुब्ध।
    पर अभी और लिखने हैं…..

    manibhainavratna
    manibhai navratna

    मनीभाई नवरत्न

  • विश्व कविता दिवस – पद्मा साहू

    विश्व कविता दिवस (अंग्रेजी: World Poetry Day) प्रतिवर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए था।

    21 मार्च विश्व कविता दिवस 21 March World Poetry Day
    21 मार्च विश्व कविता दिवस 21 March World Poetry Day

    साहित्य की आत्मा कविता

    छंद मुक्त कविता

    काव्य श्रृंगार बिना साहित्य,
    बेजान अधूरा सा लगता है ।
    रसयुक्त काव्य जन मानस में,
    भावों का संचार करता है ।
    श्रृंगार,करुणा,वीर,वात्सल्य ही,
    साहित्य में प्राण पल्लवित करता है ।
    काव्य साहित्य की आत्मा,
    काव्य से ही साहित्य सृजता है।

    स्वर नाद से गुंजित काव्य,
    रोम-रोम पुलकित करता है ।
    रामायण, महाभारत जैसे,
    महाकाव्य की रचना करता है।
    काव्यहीन साहित्य बेजान सा,
    रसहीन सृष्टि में नहीं उभरता है ।
    शब्दालंकार की रमणीयता,
    रसिक अंतर्मन में रस भरता है।

    नौ रसायुक्त सृजित काव्य से,
    साहित्य की शोभा बढ़ता है।
    साहित्य समाज का दर्पण,
    राष्ट्र का पथ प्रशस्त करता है।
    संस्कृति और सभ्यता हमारी,
    साहित्य में सजता संवरता है ।
    काव्य साहित्य की आत्मा ,
    काव्य से ही साहित्य गूंजता है ।

    प्रस्फुटित होते मनोभाव उर के,
    काव्य सूत्र में बंधित होता है।
    इतिहास का लेखा-जोखा भी,
    साहित्य में प्रतिबिंबित होता है।
    ह्रदय स्पंदित कर छाप छोड़े,
    वह कालजयी काव्य होता है ।
    काव्य साहित्य की आत्मा,
    साहित्य में परिलक्षित होता है।


    रचनाकार
    श्रीमती पद्मा साहू पर्वणी
    खैरागढ़ छ
    त्तीसगढ़

  • विश्व कविता दिवस – सुन्दर लाल डडसेना

    विश्व कविता दिवस (अंग्रेजी: World Poetry Day) प्रतिवर्ष २१ मार्च[1] को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999[2] में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए था।

    21 मार्च विश्व कविता दिवस 21 March World Poetry Day
    21 मार्च विश्व कविता दिवस 21 March World Poetry Day

    कविता क्या है?

    हे प्रिये! कविता क्या है?
    कविता मधुर की मुस्कान है।
    भावों की तीव्र अनुभूति है।
    कविता सुंदर का ज्ञान है।
    कविता जज्बातों,अरमानों का रूप है।
    कविता सुख दुःख का अर्पण है।
    कविता समाज का दर्पण है।
    कविता शब्दों का समर्पण है।
    कवि की आत्मा की गहराई है।
    कविता भावों का उमड़ता संस्कार है।
    मन की कोमल उदगार है।
    कविता कल,आज,कल की पुकार है।
    सच का स्वाभिमान है कविता।
    साहित्य का सम्मान है कविता।
    भाषा की जड़ सींचता है कविता।
    सच कहता है मधुर आत्मज्ञान है कविता।

    सुन्दर लाल डडसेना“मधुर”
    ग्राम-बाराडोली(बालसमुंद),पो.-पाटसेन्द्री
    तह.-सरायपाली,जिला-महासमुंद(छ. ग.)