जिंदगी एक पतंग – आशीष कुमार
जिंदगी एक पतंग – आशीष कुमार उड़ती पतंग जैसी थी जिंदगीसबके जलन की शिकार हो गईजैसे ही बना मैं कटी पतंगमुझे लूटने के लिए मार हो गई सबकी इच्छा पूरी की मैंनेमेरी इच्छा बेकार हो गईकहने को तो आसमान की ऊँचाईयाँ मापी मैंनेचलो मेरी ना सही सबकी इच्छा साकार हो गई ऐसा भी ना था … Read more