Tag *आत्मचेतना पर कविता

तन की माया पर कविता – बाबूराम सिंह

गजल तन की माया पर कविता तनआदमी का जग मेंअनमोल रतन है। बन जायेअति उत्तम बिगड़ा तो पतन है। सौभाग्य से है पाया जाने कब मिले,नर योनी में हीं कटता आवागमन है। सेवा, तपस्या ,त्याग मध्य ही राग अनुपम,शुभ गुणआचरणको…

सृजन-गीत – हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश

सृजन-गीत कब गायेगा – हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश कोई बता दे मानवता का ,परचम कब लहरायेगा,तहस-नहस को आतुर मानव,सृजन-गीत कब गायेगा। टेक। क्षिति-जल-अम्बर नित विकास के,बन कर साक्ष्य महान हुए,धरा बधूटी बन मुसकाई,स्वप्निल सुखद बिहान हुए।द्वन्द्व-द्वेष ने कब आ घेरा,मुझको कौन…

रेखा मल्हार की कविता

रेखा मल्हान की कविता मिले न सभी को रोटी , नहीं कपड़ा मकान ।भूखे ही सबै सोवत , नेता करै न भान ।। १।। नेता कर जनहित वदन , लालच देवत जात ।झुठा वादे करत जात , मान नहीं निज…

मंजिल पुकार रही है प्रेरणा गीत- आशीष कुमार

प्रस्तुत प्रेरणा गीत का शीर्षक "मंजिल पुकार रही है" जोकि आशीष कुमार मोहनिया, कैमूर, बिहार की रचना है. यह लोगों को उनकी मंजिल पाने की अर्थात कामयाबी हासिल करने के लिए हमेशा आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा पर आधारित गीत है.

अकारण ही -राजुल

जीवन यात्रा में बहुत कुछ अकारण होते,रचते रहना चाहिए। वृत्ताकार और यंत्रवत जीवन जीने से मर सा जाता है आदमी और निष्प्राण हो जाती है उसके अंदर की आदमियत...

ये आम अनपढ़ बावला है

ये आम अनपढ़ बावला है दुर्व्यवस्था देख,क्या लाचार सा रोना भला है।क्या नहीं अब शेष हँसने की रही कोई कला है। शोक है उस ज्ञान पर करता विमुख पुरुषार्थ से जो,भाग्य की भी भ्राँतियों ने,कर्म का गौरव छला है। आग…

प्रायश्चित- मनीभाई नवरत्न

प्रायश्चित- मनीभाई नवरत्न हम करते जाते हैं कामवही जो करते आये हैंया फिर वो ,जो अब हमारे शरीर के लिएहै जरूरी। इस दरमियानकभी जो चोट लगेया हो जाये गलतियां।तो पछतावा होता है मन मेंजागता है प्रायश्चित भाव। वैसे सब चाहते…