Tag: Hindi poem on Shri Ganesh Chaturthi

भाद्रपद शुक्ल श्रीगणेश चतुर्थी : गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा की जाती है। कई प्रमुख जगहों पर भगवान गणेश की बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस प्रतिमा का नौ दिनों तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में आस पास के लोग दर्शन करने पहुँचते है। नौ दिन बाद गानों और बाजों के साथ गणेश प्रतिमा को किसी तालाब इत्यादि जल में विसर्जित किया जाता है।

  • गौरी के लाला गनराज

    गौरी के लाला गनराज

    गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।

    भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।

    ganesh
    गणेश वंदना

    गौरी के लाला गनराज

    पहिली सुमरनी हे, हाथ जोड़ बिनती हे |
    गौरी के लाला गनराज ला….

    1. विघन विनाशन नाम हे ओखर |
      दुख हरना शुभ काम हे ओखर ||
      मन मा बसाले गा, तन मा रमाले ना…
      गौरी के लाला गनराज ला…..
    2. लंबोदर हाबय जी गजानन |
      भइया हाबय उँखर षडानन ||
      फूल पान चढ़ा ले रे, लाड़ू के भोग लगाले ना….
      गोरी के लाला गनराज ला……..
    3. मुसवा के ओ करथे सवारी |
      पिता हाबय ओखर त्रिपुरारी ||
      एकदंत कहिथे जी, दयावंत कहिथे ना…..
      गौरी के लाला गनराज ला…..
      पहिली सुमरनी हे….
      हाथ जोड़ बिनती हे……
      गौरी के लाला गनराज ला……

    दिलीप टिकरिहा “छत्तीसगढ़िया”

  • गणेश वंदना -दूजराम साहू

    गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।

    भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।

    गणेश वंदना ( छत्तीसगढ़ी)

    जय ,जय ,जय ,जय हो गनेश !
    माता पारबती पिता महेश !!

    Ganeshji
    गणेशजी

    सबले पहिली सुमिरन हे तोर ,
    बिगड़े काज बना दे मोर !
    अंधियारी जिनगी में,
    हावे बिकट कलेश !!

    बहरा के बने साथी,
    अंधरा के हरस लाठी !
    तोर किरपा ले कोंदा ,
    फाग गाये बिशेष !!

    बांझ ह महतारी बनगे ,
    लंगड़ा ह पहाड़ चढ़गे !
    भिख मंगईया ह,
    बनगे नरेश !!

    दूजराम साहू
    निवास -भरदाकला (खैरागढ़)
    जिला_ राजनांदगाँव (छ. ग. )

  • हे गणपति सुनले विनती -गणेश वंदना गीत

    गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।

    भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।

    हे गणपति सुनले विनती

    हे गणपति, सुनले विनती ।
    यह पुकार है मेरे दिल की ।।
    मांगे जो भी ,वो मिल जाती ।
    महिमा तेरी,  यह जहां गाती।

    आप हो प्रथम पूज्य देव।
    उमा माता ,पिता महादेव ।
    मूषक तेरी वाहन है ।
    लीला तेरी मनभावन है।

    हे गजानन ,भक्ति तेरी जिंदगी संवारती।हे गणपति, सुनले विनती…


    मोदक आपको खूब भाये।
    तेरी आरती संग हैं लाए ।
    सुनले मेरी प्रार्थना
    वंदना तेरी दिल से गाये।

    तेरे नाम की दीया रगों में हरपल सुलगती ।
    हे गणपति, सुनले विनती…..

  • गणेश चतुर्थी पर कविता

    गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।

    भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।

    गणेश चतुर्थी पर कविता

    जय जय देव गणेश,विघ्न हर्ता वंदन है।

    लम्बोदर शुभ नाम,शक्ति शंकर नंदन है।

    भाद्रपद शुक्ल श्रीगणेश चतुर्थी Bhadrapad Shukla Shriganesh Chaturthi
    भाद्रपद शुक्ल श्रीगणेश चतुर्थी Bhadrapad Shukla Shriganesh Chaturthi

    सर्व सगुण की मूर्ति ,रिद्धि सिद्धि जगत मालिक।

    अतुल ज्ञान भंडार,सुमंगल अति चिर कालिक।

    सबके घमंड दूर कर,दिल में भरते तरलता।

    इनके परम प्रताप से,मिले सदा सफलता।  

    ✍ सुकमोती चौहान रुचि बिछिया,महासमुन्द,छ.ग।

  • जय गणपति जय जय गणनायक

    गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।

    भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।

    गणेश
    गणपति

    जय गणपति जय जय गणनायक

    जय गणपति जय जय गणनायक
    विघ्न विनाशक शुभ फलदायक
    शंकर सुवन भवानी नंदन
    हे गणनायक ! शुभ अभिवंदन

    1
    जो भी सुमिरे सांझ सकारे
    उसके तुमने काज सँवारे
    पान पुष्प लड्डू ही भायें
    ये सब प्रात: काल चढ़ाएं
    मोदक भोग लगायें चन्दन
    हे गणनायक ! शुभ अभिवंदन

    2

    अंधों को जो दृष्टि दिलाए
    कोढ़ी सुन्दर काया पाए
    बाँझन को संतान का सुख हो
    दुखियों से ओझल सब दुख हो
    ऐसे लम्बोदर का वंदन
    हे गणनायक ! शुभ अभिवंदन

    3

    दारा जिनकी ऋद्धि सिद्धि
    बुद्धि विवेक के जो हैं अधिपति
    लाभ और शुभ पुत्र रतन है
    एक दन्त भुज चार मगन है
    माथे पर सिंदूर का लेपन
    हे गणनायक ! शुभ अभिवंदन

    4

    जो कपीथ जम्बू फल खाए
    मूसा वाहन जिसको भाये
    कार्तिकेय हैं भाई जिनके
    जो विघ्नेश जगत दुख हरते
    देवों के हैं देव गजानन
    हे गणनायक ! शुभ अभिवंदन

    5

    दूब और सिंदूर अर्पित हो
    लड्डू मेवा से जो मुदित हो
    विघ्नेश्वर का चरण कमल हो
    शीश झुकाते सब मंगल हो
    अष्ट सिद्धि नव निधि का मज्जन
    हे गणनायक ! शुभ अभिवंदन

    रमेश