क्यों? प्रीत बढ़ाई कान्हा से
क्यों? प्रीत बढ़ाई कान्हा से झलकत, नैनन की गगरियाँ,झलक उठे, अश्रु – धार,क्यों? प्रीत बढ़ाई कान्हा से,बेहिन्तहा, होकर बेकरार! तड़पत – तड़पत हुई मै बावरी,ज्यों तड़पत जल बिन मछली,कब दर्शन दोगे घनश्याम,बिन तेरे अँखियाँ अकुलांई! क्यों? प्रीत बढ़ाई कान्हा से, बेहिन्तहा, होकर बेकरार,! मुझे अपनी बाँसुरियाँ बना लौ,वर्ना, प्रीत मोहे डस लेगी,दरसन मै, तेरे, बाँसुरियाँ … Read more