अब तो खुलकर बोल
अब तो खुलकर बोल* शर्मिलापन दूर भगाकर,घूँघट के पट खोल!बोल बावरी कलम कामिनी,अब तो खुल कर बोल!!जीवन की अल्हड़ता देखी,खुशियाँ थी अनमोल!दुख को देखा इन नैनों से,तर्क तराजू तोल!ऊंच नीच की गलियाँ देखी,अक्षर अक्षर बोल!बोल बावरी कलम कामिनी,अब तो खुलकर बोल!!…………..(१) राजनिती में दल दल देखा,नेताओं का शौर!डाकू बनगये आज धुरंधर,सच्चे नेता चोर!गिरेबाँन गँदा है … Read more