तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा
तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा ।
आओ कन्हाई आओ कन्हाई
तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा—-
कान्हा तूने राधा से प्रीत लगाकर
भूले हो कैसे मोहन मथुरा में जाकर ।
गोकुल की गलियों में फिरती है बावरी सी
तन की सुध बिसराई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा ।।
तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा ।।
आओ कन्हाई—
यमुना के तट पर आ जाओ कान्हा।
मधुर मुरलिया सुना जाओ कान्हा।
आके गले से लगा जाओ कान्हा ।
क्यूँ कर प्रीत भुलाये कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा ।।
आओ कन्हाई–
आकर मोहन फिर रास रचादो ।
सावन के झूले में आकर झुला दो।
प्यासी अँखियाँ श्याम दरश दिखादो ।
इक तू है मेरा सहाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा ।।
आओ कन्हाई —
तेरे मिलन की पिया आश लगाई।
मैं तेरी मीरा”तू है मेरा कन्हाई ।
जनम जनम से प्रीत सगाई ।
निकला क्यूँ हरजाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा ।।
आओ कन्हाई आओ कन्हाई
तुझ संग प्रीत लगाई कृष्णा कृष्णा कृष्णा हो कान्हा ।।