Tag: kevra yadu meera ki kavita

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०केवरा यदु मीरा के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • लबों पे है तेरा नाम

    लबों पे है तेरा नाम

    लब  पे नाम  तेरा
    सुमिरूँ मैं सुबह शाम

    मोहन  मेरे  श्याम ।

    आँखों  में तुम बसे हो
    साँसों की माला  में
    ओ मोहन  बस
    तेरा ही  नाम ।

    तुम जगत  नियंता
    भक्तों को प्यारे ।
    हे गोविन्द  मेरे
    यसुदा के  हो दुलारे ।

    मैने  रचाई मेंहदी
    मोहना  तेरे  नाम ।

    लबों पे है तेरा  नाम ।

    केवरा यदु “मीरा “

  • दिसंबर महीने पर कविता

    दिसंबर महीने पर कविता

    आ गये दिसंबर के
    ठिठुराते  दिन।
    कोहरे की चादर
    धूप भाये पल झिन ।

    आ गये दिसंबर के ठिठुराते दिन ।

    लुका छुपी करता
    सूरज  दादा  आसमां पे
    बेमौसम पानी
    बरसे रिमझिम ।

    आ गये दिसंबर के ठिठुराते दिन ।

    काँप रहे दादा जी
    जला रहे अलाव
    दादी बुला  रही अरे
    सोनू  मोनू  जल्द  आव
    दाँत किटकिटाते
    पानी पीने से किनकिन।

    आ गये दिसंबर के ठिठुराते दिन ।

    नहाने  बुलाने  से
    रो रही है मुनिया
    कहता गोला भी
    न नहाऊँ  री मइयाँ
    कूद  रहा ताल दे
    तक धिन धिन  धिन।

    आ गये दिसंबर के ठिठुराते दिन ।

    चाय काफी भाये
    हलुवा  सुहाते
    गरम गरम  पकोड़े
    समोसे  जी ललचाये
    स्वेटर शाॅल बिन
    कटते नहीं  दिन ।

    आ गये दिसंबर के ठिठुराते दिन ।

    केवरा यदु “मीरा “
    राजिम (छ॰ग
    )

  • मुसाफिर पर कविता

     चल मुसाफिर चल-केवरा यदु “मीरा “

    जिन्दगी  काँटों भरी है चल मुसाफिर चल ।
    गिर गिर कर उठ संभल मुसाफ़िर चल ।

    लाख तूफाँ आये तुम रूकना नहीं।
    मंजिलों की चाह  है झुकना नहीं ।
    मंजिल तुझे मिल जायेगी आज नहीं तो कल।

    याद रख जो आँधियों से है टकराते ।
    मंजिल कदम चूमने उनके ही आते।
    गुनगुनाना कर मुस्कुरा कर ऐ मुसाफ़िर चल ।

    लक्ष्य अपना ले बना भटक मत
    ये माया की नगरी में अटक मत
    सुकून मिलता जाएगा चल मुसाफिर चल

    जिन्दगी काँटों भरी है चल मुसाफिर चल ।
    गिर गिर कर उठ संभल मुसाफ़िर चल ।

    केवरा यदु “मीरा “

  • पथ की दीप बनूँगी

    पथ की दीप बनूँगी

    प्रिय तुम न होना उदास तेरे पथ की दीप बनूँगी ।
    फूल बिछा कर पग पर तेरे काँटे सदा वरण करूँ गी ।।
    तेरे पथ की दीप बनूँगी।

    ना  मन  हो  विकल  न उथल पुथल ।
    मनों भाव अर्पित कर अधर की मुस्कान बनूँगी ।

    तेरे पथ की दीप बनूँगी।

    जिन्दगी में कभी गम के बादल भी छाये ।
    प्रिय थाम लो हाथ मेरा तपन मैं हरूँगी ।

    तेरे पथ की दीप बनूँगी ।

    खुशी हो  या गम संग  हँस कर जियें ।
    विष वरण कर अमृत तेरे हाथ मैं  धरूँगी ।

    तेरे पथ की दीप बनूँ गी ।

    जिन्दगी के सफर में थक भी जाओ कभी ।
    कदमों पे तेरे प्रिय मैं हथेली धरूँगी ।

    तेरे पथ की दीप बनूँगी ।

    बनाया है रब ने इक दूजे के लिये ।
    आखरी  साँस तक तुमको तकती रहूँगी ।

    तेरे पथ की दीप बनूँगी।
    फूल बिछा कर पग पर तेरे काँटे सदा वरण करूँगी ।

    केवरा यदु “मीरा “

  • श्याम छलबलिया – केवरा यदु

    श्याम छलबलिया – केवरा यदु

    श्याम छलबलिया – केवरा यदु

    shri Krishna
    Shri Krishna

    श्याम छलबलिया कइसे भेज दिहे व पाती।
    तुम्हरे दरस बर तरसथे मोर आँखी।
    तुम्हरे दरस बर तरसथे मोर आँखी।।
    कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे।
    ऊधो आइस पाती सुनाइस।
    पाती पढ़ पढ सखी ला सुनाईस।
    पाती सुन के


    पाती सुन के धड़कथे मोर छाती।।
    तुम्हरे दरस बर तरसथे मोर आँखी।।
    कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे।।
    एक जिवरा कहिथे जहर मँय खातेंवं।
    श्याम के बिना जिनगी ले मुक्ति पातेंवं
    एक जिवरा कहिथे


    एक  जिवरा कहिथे मँय देहूँ काशी।।
    तुम्हरे दरस बर तरसथे मोर आँखी।।
    कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे।।
    जिवरा कहिथे श्याम बन बन खोजँवं।
    बइठ कदम  तर जी भर के रो लंव।
    जिवरा मोर कहिथे


    जिवरा मोर कहिथे लगा लेऊँ फांसी।
    तुम्हरे दरस बर तरसथे मोर आँखी।।
    कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे।।
    मन मोर दस बीस नइहे कान्हा
    साँस के ड़ोरी बंधे तोरे संग कान्हा।
    जियत नहीं पाहू


    जियत नहीं पाहू  मोला दे देहू माफी।।
    तुम्हरे दरस बर तरसथे मोर आँखी।।
    तुम्हरे दरस बर तरसथे मोर आँखी।।
    कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे।।
    श्याम छलबलिया कइसे भेज दिहेव पाती।
    तुम्हरे दरस बर तरसथे मोर आँखी
    तुम्हरे दरस बर तरसथे मोर आँखी
    कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे


    केवरा यदु “मीरा”

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