सर्व शक्ति का रूप है नारी /रचयिता:-डी कुमार–अजस्र

विधा:- पद्य/कविता विषय:-स्त्री शक्ति की प्रतिमूर्ति रचना शीर्षक:- *सर्वशक्ति का रूप है नारी* रचनाकार नाम :- *डी कुमार–अजस्र(दुर्गेश मेघवाल,बून्दी/राज.)* प्रतियोगिता के लिए:- हाँ प्रतियोगिता नियमावली मंजूर:- हाँ डाक प्राप्ति पता :- दुर्गेश कुमार मेघवाल(व्याख्याता) आत्मज श्री प्रभू लाल मेघवाल ‘काला सदन’ पुराना माटुंदा रोड़ ,इंद्रा कॉलोनी बून्दी ,जिला बून्दी राजस्थान पिन:-323001 मोबाइल नम्बर :- 9461302199

सम्भल जाओ आज से- प्रिया सिंह

सम्भल जाओ आज से- प्रिया सिंह भारत वर्ष की बेटी हूं, समझ गई अपना अधिकार ।अन्याय नहीं सहन करेंगे, अब मेरी भी वाणी में धार।अब चाहोगे तुम रोकना हमें , अपने आदतन अंदाज से।पर रोकने वाले!  खुद रुक जाओ, सम्भल जाओ आज से । जितना करना था अत्याचार हम पर, उसको हम सह गये।सहते सहते … Read more

नारी रत्न अमूल्य धरा पर(चौपाई छंद)

नारी रत्न अमूल्य धरा पर (चौपाई छंद) नारी रत्न अमूल्य धरा पर।ईश्वर रूप सकल सचराचर।।राम कृष्ण जन्माने वाली।सृष्टि धर्म की सत प्रतिपाली।।१.बेटी बहिन मात अरु दारा।हर प्रतिरूप मनुज उद्धारा।।नारी जग परहित तन धारी।सुख दुख पीड़ा सहे दुधारी।।२.द्वय घर की सब जिम्मेदारी।बिटिया वहन करे वह सारी।।पढ़ी लिखी जब होती नारी।दो दो घर बनते संस्कारी।।३.शान मान अरमान … Read more

छत्तीसगढ़ी कविता – तरिया घाट के गोठ

( यह कविता कुछ ग्रामीण महिलाओं के स्वभाव को दर्शाती है जहाँ उनकी दिखावटीपन, आभूषण प्रियता, बातूनीपन  और  कुछ अनछुए पहलू को बताने की कोशिश की गई है ।)

शहर शहर निर्भया

यह रचना हाथरस में हुई घटना पर तथा लचीली व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है!