स्वास्थ्य पर सजगता – विनोद सिल्ला
स्वास्थ्य पर सजगता सेहत सुविधा कम हुई, बढ़े बहुत से रोग| दाम दवाओं के बढ़े, तड़प रहे हैं लोग|| अस्पताल के द्वार पर, बड़ी लगी है भीड़|रोग परीक्षण हो रहे, सब की अपनी पीड़|| ऊंचे भवन बना लिए, पैसा किया…
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर 0 #विनोद सिल्ला के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
स्वास्थ्य पर सजगता सेहत सुविधा कम हुई, बढ़े बहुत से रोग| दाम दवाओं के बढ़े, तड़प रहे हैं लोग|| अस्पताल के द्वार पर, बड़ी लगी है भीड़|रोग परीक्षण हो रहे, सब की अपनी पीड़|| ऊंचे भवन बना लिए, पैसा किया…
चुगली रस मीठा चुगली रस लगे, सुनते देकर ध्यान। छूट बात जाए नहीं, फैला लेते कान।। चुगलखोर सबसे बुरा, कर दे आटोपाट।नारद से आगे निकल, सबकी करता काट।। चुगली सबको मोहती, नर हो चाहे नार।चुगली के फल तीन हैं, फूट…
आहट पर कविता सिंहासन खतरे मेंहो ना होसिंह डरता है हर आहट से आहट भीप्रतीत होती है जलजलाप्रतीत होती है उसे खतरावह लगा देता हैऐड़ी-चोटी का जोरकरता है हर संभव प्रयासआहटों को रोकने का अंदर से डरा हुआताकतवर हो कर…
अब तो भर्ती अब तो भर्ती खोलिए, बहुत हुआ सरकार। पढ़-लिखकर हैं घूमते, युवा सभी बेकार।। नयी-नयी नित नीतियां, सत्ता ने दी थोप।रोजगार की खोज में, चले युवा यूरोप।। जितना जो भी है पढ़ा, दे दो वैसा काम।वित पोषण हो…
यहां पर नशा नाश करके रहे , जो कि नशा मुक्ति पर लिखी गई विनोद सिल्ला की कविता है। नशा नाश करके रहे नशा नाश करके रहे,नहीं उबरता कोय।दूर नशे से जो रहे, पावन जीवन होय।। नशा करे हो गत…
विनोद सिल्ला के दोहे भाईचारे की अनमोल भावना को व्यक्त करते हैं। ये दोहे पाठकों को रिश्तों के महत्व को समझने और उन्हें सहेजने की प्रेरणा देते हैं। भाई के प्रति सच्चे प्रेम और सम्मान की भावना को व्यक्त करते…
बेरोजगार पर दोहे पढ़-पढ़ पोथी हो गए, सभी परीक्षा पास। रोजगार मिलता नहीं, टूटी जीवन आस।। उपाधियां तो मिल गई, नहीं मिला है काम।मिल तो जाती नौकरी, दे पाते गर दाम।। बेकारी सबसे बुरी, हर लेती है मान।सारा जीवन व्यर्थ…
यहाँ पर विनोद सिल्ला की व्यंग्य कवितायेँ प्रकाशित की गयी हैं आपको कौन सी अच्छी लगी कमेंट कर जरुर बताएँगे दो-दो भारत वंचितों की बस्तियां इस ओर हैं,सम्पन्नों की बस्तियां उस ओर हैं, उधर महके सम्पन्नता में छोर-छोर,इधर अभावग्रस्त है …
तुम लेखक नहीं नर पिचास हो सिर्फ तुम ही नहींतुम से पूर्व भी थीपूरी जमात भांडों की।जो करते रहे ताथाथैयादरबारों की धुन पर।चाटते रहे पत्तलसियासी दस्तरखान पर।हिलाते रहे दुमसियासी इशारों पर।चंद रियायतों के लिएचंद सम्मान-पत्रों के लिए।करते रहे कत्लजनभावनाओं का।करते…
वोट- विनोद सिल्ला तेरा वोट उन्हेंबैठा देगासिंहासन परलगा देगाउनकी गाड़ी परलाल बत्तीवो अपनों कोठेके दिलवाएंगेआला अधिकारियों कीकसरत करवाएंगेलूट-लूट के वतन को खाएंगेपूरे पाँच सालबदले मेंतुझे क्या मिलेगाबस एक बोतल शराबजिसका नशामतदान के तुरंत बादउतर जाएगा. -विनोद सिल्ला© Post Views: 40